आज का फिर वादा था, उससे, जग कर इस रात की सुबह न कर

"आज का फिर वादा था, उससे, जग कर इस रात की सुबह न कर देने का, इस रात से वैर मैं कुछ वादे उसके पुरे नहीं हुए, कुछ चाहते मेरी अधूरी रही।। ©Arvind Rana"

 आज का फिर वादा था, उससे,
जग कर इस रात की सुबह न कर देने का,

इस रात से वैर मैं
कुछ वादे उसके पुरे नहीं हुए,
कुछ चाहते मेरी अधूरी रही।।
©Arvind Rana

आज का फिर वादा था, उससे, जग कर इस रात की सुबह न कर देने का, इस रात से वैर मैं कुछ वादे उसके पुरे नहीं हुए, कुछ चाहते मेरी अधूरी रही।। ©Arvind Rana

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