कृत्य (दोहे)
कृत्य न ऐसा कीजिये, खोओगे संस्कार।
दो पल की ये जिंदगी, कर लो परोपकार।।
विमुख कृत्य से हो रहे, करते अत्याचार।
मान बड़ों का खो गया, ये कैसा व्यवहार।।
कृत्य कृत्य की है सदा, जीवन में पहचान।
सुकृत्य से गरिमा बढ़े, कुकृत्य से अपमान।।
सुकृत्य से अच्छे बनो, ईश्वर के तुम मीत।
जीवन में संकट बड़े, जाओगे तुम जीत।।
सुकृत्य से जीवन बड़ा, होता है आसान।
उनको ही ईश्वर सदा, देते हैं वरदान।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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कृत्य (दोहे)
कृत्य न ऐसा कीजिये, खोओगे संस्कार।
दो पल की ये जिंदगी, कर लो परोपकार।।
विमुख कृत्य से हो रहे, करते अत्याचार।