अभी ऊँची उड़ान बाक़ी है, समूचा आसमान बाक़ी है, | हिंदी शायरी

"अभी ऊँची उड़ान बाक़ी है, समूचा आसमान बाक़ी है, सफ़र में चल पड़े कदम मेरे, अभी सारा जहान बाक़ी है, नया है जोश अभी यौवन में, वक़्त का इम्तिहान बाक़ी है, उगते सूर्य को प्रणाम किया, पढ़ना गरूड पुराण बाक़ी है, घूम आए हैं सारी दुनिया में, मेरे दिल का मुकाम बाक़ी है, देख ली नफ़रतें करके सबने, शांति का ही पयाम बाक़ी है, सरायों में गुजारे दिन कितने, अपने भीतर क़याम बाक़ी है, हुआ दीदार हुस्न का 'गुंजन', अभी दुआ सलाम बाक़ी है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra"

 अभी ऊँची उड़ान  बाक़ी है, 
समूचा  आसमान  बाक़ी है,

सफ़र में चल पड़े कदम मेरे,
अभी सारा जहान  बाक़ी है,

नया है जोश अभी यौवन में, 
वक़्त का इम्तिहान बाक़ी है,

उगते सूर्य को  प्रणाम किया, 
पढ़ना गरूड पुराण बाक़ी है,

घूम आए हैं  सारी  दुनिया में, 
मेरे दिल का मुकाम बाक़ी है,

देख ली नफ़रतें करके सबने, 
शांति का ही पयाम बाक़ी है,

सरायों में गुजारे दिन कितने, 
अपने भीतर क़याम बाक़ी है,

हुआ दीदार हुस्न का  'गुंजन', 
अभी  दुआ सलाम  बाक़ी है,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

अभी ऊँची उड़ान बाक़ी है, समूचा आसमान बाक़ी है, सफ़र में चल पड़े कदम मेरे, अभी सारा जहान बाक़ी है, नया है जोश अभी यौवन में, वक़्त का इम्तिहान बाक़ी है, उगते सूर्य को प्रणाम किया, पढ़ना गरूड पुराण बाक़ी है, घूम आए हैं सारी दुनिया में, मेरे दिल का मुकाम बाक़ी है, देख ली नफ़रतें करके सबने, शांति का ही पयाम बाक़ी है, सरायों में गुजारे दिन कितने, अपने भीतर क़याम बाक़ी है, हुआ दीदार हुस्न का 'गुंजन', अभी दुआ सलाम बाक़ी है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#दिल का मुकाम बाक़ी है#

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