रात, रात भर जागती रही, सूरज तरफ  झाँकती रही। नजर | हिंदी Poetry

"रात, रात भर जागती रही, सूरज तरफ  झाँकती रही। नजरें न मिल सकी  उनसे, सर्द मौसम में काँपती रही। बरस रहा तुषार में पुरन्दर, उड़ रहा नीर का समन्दर। बिखर गयी ओंस की चादर, शीतल है बाहर और अंदर। भानू का रौशन कुमुंद है, उषा में मेघ बहुत धुंध है। रात, ठिठुरती रही रजनी, सबके पालनहार मुकुंद है। ©santosh sharma"

 रात, रात भर जागती रही,

सूरज तरफ  झाँकती रही।

नजरें न मिल सकी  उनसे,

सर्द मौसम में काँपती रही।


बरस रहा तुषार में पुरन्दर,

उड़ रहा नीर का समन्दर।

बिखर गयी ओंस की चादर,

शीतल है बाहर और अंदर।


भानू का रौशन कुमुंद है,

उषा में मेघ बहुत धुंध है।

रात, ठिठुरती रही रजनी,

सबके पालनहार मुकुंद है।

©santosh sharma

रात, रात भर जागती रही, सूरज तरफ  झाँकती रही। नजरें न मिल सकी  उनसे, सर्द मौसम में काँपती रही। बरस रहा तुषार में पुरन्दर, उड़ रहा नीर का समन्दर। बिखर गयी ओंस की चादर, शीतल है बाहर और अंदर। भानू का रौशन कुमुंद है, उषा में मेघ बहुत धुंध है। रात, ठिठुरती रही रजनी, सबके पालनहार मुकुंद है। ©santosh sharma

#fog

People who shared love close

More like this

Trending Topic