सुनो तुम आओगी न देखने जब इस हृदय की धमनियां ठंढी पड़ जाएंगी,
जब इस देह पर कफ़न की सफेद चादर डाल दी जाएंगी...
आना जरूर मैं मिलूँगा तुम्हे चिता की ठंढी हुई राख में,
जलते हुए शरीर से उठते हुए धुंए में...मैं इंतज़ार करूँगा दोस्त तुम्हारे आने का..वहां लोग बहुत होंगे मगर तुम आना
चुपके से भीड़ के पीछे छुप कर खड़े हो जाना देखना जब मुझे मुखाग्नि पड़ रही होगी
तो मेरे कंठ तुमसे कुछ कह रहे होंगे,
वो शब्द जो किसी से न कहे गए..
ज़रा कठिन होगा पर तुम समझ जाओगी...
हा थोड़ी सी राख जरूर अपने साथ लेते जाना
और इक चुटकी अपने मांग में सजा लेना ।।
©Prakash writer05
#सुनो तुम आओगी न देखने जब इस हृदय की धमनियां ठंढी पड़ जाएंगी, जब इस देह पर कफ़न की सफेद चादर डाल दी जाएंगी...
आना जरूर मैं मिलूँगा तुम्हे चिता की ठंढी हुई राख में,जलते हुए शरीर से उठते हुए धुंए में...मैं इंतज़ार करूँगा दोस्त तुम्हारे आने का..वहां लोग बहुत होंगे मगर तुम आना चुपके से भीड़ के पीछे छुप कर खड़े हो जाना देखना जब मुझे मुखाग्नि पड़ रही होगी तो मेरे कंठ तुमसे कुछ कह रहे होंगे,वो शब्द जो किसी से न कहे गए..ज़रा कठिन होगा पर तुम समझ जाओगी...हा थोड़ी सी राख जरूर अपने साथ लेते जाना और इक चुटकी अपने मांग में सजा लेना ।।