#OpenPoetry ऐसी तन्हाई का आलम भी कहीं देखा है, धूप

"#OpenPoetry ऐसी तन्हाई का आलम भी कहीं देखा है, धूप सर पे और साए का कुछ पता ही नहीं"

 #OpenPoetry ऐसी तन्हाई का आलम भी कहीं देखा है,
धूप सर पे और साए का कुछ पता ही नहीं

#OpenPoetry ऐसी तन्हाई का आलम भी कहीं देखा है, धूप सर पे और साए का कुछ पता ही नहीं

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