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दुर्गम डगर हो या सरल रास्ते
चलने वालों की जीत हुई
पथ के कांट देख सहम जाएं
ये भी कोई बात हुई
अंधकार हो चाहे जितना
हमे डरा दे ऐसी कोई रात नही
जिक्र दिया है कर ही अगर तो
कर्ण पट्ट को खोल सुनो
या तो हर स्वीकार करो
या हाथों में तलवार धरो
गर यकीन हो खुद पर तुम को
तनिक ठहर के सांस भरो
फिर गर्जन कर के निकल पड़ो
और दरिया को पर करो।।
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#sad_shayari