ये जिन्दगी इसलिए मुरझाई हुई है तेरी जानिब घसीट क | हिंदी शायरी

"ये जिन्दगी इसलिए मुरझाई हुई है तेरी जानिब घसीट कर लाई हुई है मुमकिन है तुझे भी जगह न मिले यादें इस कदर दिल में दफ्नाई हुई है ऐ खुदा उसके हाथो मत तोड़ना मुझे मैने उससे बड़ी उम्मीदें लगाई हुई है अब तो मुझे बाहर निकलना होगा सदा खुद की जानिब से आई हुई है ©Aawesh Khan"

 ये जिन्दगी इसलिए मुरझाई हुई है  
तेरी जानिब घसीट कर लाई हुई है

मुमकिन है तुझे भी जगह न मिले
यादें इस कदर दिल में दफ्नाई हुई है

ऐ खुदा उसके हाथो मत तोड़ना मुझे
मैने उससे बड़ी उम्मीदें लगाई हुई है

अब तो मुझे बाहर निकलना होगा
सदा खुद की जानिब से आई हुई है

©Aawesh Khan

ये जिन्दगी इसलिए मुरझाई हुई है तेरी जानिब घसीट कर लाई हुई है मुमकिन है तुझे भी जगह न मिले यादें इस कदर दिल में दफ्नाई हुई है ऐ खुदा उसके हाथो मत तोड़ना मुझे मैने उससे बड़ी उम्मीदें लगाई हुई है अब तो मुझे बाहर निकलना होगा सदा खुद की जानिब से आई हुई है ©Aawesh Khan

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