कभी सोचा नहीं था लिखने का भी शौक होगा मुझे। पहली कविता लिखी जब शायद क्लास ८ में थी । मेरा भारत नाम की मेरी कविता मेरे स्कूल के मैगजीन में छपी थी। मैं बहुत खुश थी। फिर कई सालों बाद युहीं लिखने का मन किया। फिर धिरे धिरे ये शौक के साथ आदत बनता गया। आज कितनी भी व्यस्त रहूं। कैसा भी लिखुं। पर लिखती जरुर हूं। मुझे अच्छा लगता है। अपना हुनर कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
©Priti Singh
#alone