Priti Singh

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simplicity The essence of Every thought ©Priti Singh

#WritersSpecial #pritiSingh  simplicity
The essence of Every thought

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कोई खास वजह नहीं।बस यूंही कुछ अनुभव बांटने की इच्छा हुई। सामान्य सी बात है।एक महिला का जीवन उसके परिवार के इर्द-गिर्द ही रहता है।एक बेटी से पत्नी फिर बहू और फिर मां बनना और उन जिम्मेदारियों को निभाने के सफर में ही महिलाओं की पूरी जिंदगी की कहानी होती है।कुछ इन जिम्मेदारियों के साथ अपने सपनों को पूरा करने का सामर्थ्य रखती है तो कुछ के लिए धर की चारदीवारी ही उनका संसार होता है। अपनी सारी दिनचर्या, रस्मों रिवाज, पहचान, आदतों और ना जाने कितने ही चिजों में बदलाव के साथ सामंजस्य बैठाकर अपनी सारी जिम्मेदारियों को पूरा करने की कोशिश में लगी रहती हैं। ऐसा नहीं है कि यह कोई स्पर्धा हो पुरूषों और उनकी मेहनत को महिलाओं से कम बताने की कोशिश की जा रही है। बस आज जब उन सारी जिम्मेदारियों को निभाने की प्रक्रिया में मैं खुद भी शामिल हो चुकी हूं।तब मैंने इससे जुड़ी चुनौतियों और कठिनाइयों को और अच्छे से पहचाना है।और मुझे गर्व है कि आज मैं आत्मनिर्भर होने के इस क्रम में शामिल हूं। ©Priti Singh

 कोई खास वजह नहीं।बस यूंही कुछ अनुभव बांटने की इच्छा हुई।
सामान्य सी बात है।एक महिला का जीवन उसके परिवार के इर्द-गिर्द ही रहता है।एक बेटी से पत्नी फिर बहू और फिर मां बनना और उन जिम्मेदारियों को निभाने के सफर में ही महिलाओं की पूरी जिंदगी की कहानी होती है।कुछ इन जिम्मेदारियों के साथ अपने सपनों को पूरा करने का सामर्थ्य रखती है तो कुछ के लिए धर की चारदीवारी ही उनका संसार होता है। अपनी सारी दिनचर्या, रस्मों रिवाज, पहचान, आदतों और ना जाने कितने ही चिजों में बदलाव के साथ सामंजस्य बैठाकर  अपनी सारी जिम्मेदारियों को पूरा करने की कोशिश में लगी रहती हैं।  
      ऐसा नहीं है कि यह कोई स्पर्धा हो पुरूषों और उनकी मेहनत को महिलाओं से कम बताने की कोशिश की जा रही है।
बस आज जब उन सारी जिम्मेदारियों को निभाने की प्रक्रिया में मैं खुद भी शामिल हो चुकी हूं।तब मैंने इससे जुड़ी चुनौतियों और कठिनाइयों को और अच्छे से पहचाना है।और मुझे गर्व है कि आज मैं आत्मनिर्भर होने के इस क्रम में शामिल हूं।

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कोई खास वजह नहीं।बस यूंही कुछ अनुभव बांटने की इच्छा हुई। सामान्य सी बात है।एक महिला का जीवन उसके परिवार के इर्द-गिर्द ही रहता है।एक बेटी से पत्नी फिर बहू और फिर मां बनना और उन जिम्मेदारियों को निभाने के सफर में ही महिलाओं की पूरी जिंदगी की कहानी होती है।कुछ इन जिम्मेदारियों के साथ अपने सपनों को पूरा करने का सामर्थ्य रखती है तो कुछ के लिए धर की चारदीवारी ही उनका संसार होता है। अपनी सारी दिनचर्या, रस्मों रिवाज, पहचान, आदतों और ना जाने कितने ही चिजों में बदलाव के साथ सामंजस्य बैठाकर अपनी सारी जिम्मेदारियों को पूरा करने की कोशिश में लगी रहती हैं। ऐसा नहीं है कि यह कोई स्पर्धा हो पुरूषों और उनकी मेहनत को महिलाओं से कम बताने की कोशिश की जा रही है। बस आज जब उन सारी जिम्मेदारियों को निभाने की प्रक्रिया में मैं खुद भी शामिल हो चुकी हूं।तब मैंने इससे जुड़ी चुनौतियों और कठिनाइयों को और अच्छे से पहचाना है।और मुझे गर्व है कि आज मैं आत्मनिर्भर होने के इस क्रम में शामिल हूं। ©Priti Singh

8 Love

कभी सोचा नहीं था लिखने का भी शौक होगा मुझे। पहली कविता लिखी जब शायद क्लास ८ में थी । मेरा भारत नाम की मेरी कविता मेरे स्कूल के मैगजीन में छपी थी। मैं बहुत खुश थी। फिर कई सालों बाद युहीं लिखने का मन किया। फिर धिरे धिरे ये शौक के साथ आदत बनता गया। आज कितनी भी व्यस्त रहूं। कैसा भी लिखुं। पर लिखती जरुर हूं। मुझे अच्छा लगता है। अपना हुनर कभी नहीं छोड़ना चाहिए। ©Priti Singh

#बात #alone  कभी सोचा नहीं था लिखने का भी शौक होगा मुझे। पहली कविता लिखी जब शायद क्लास ८ में थी । मेरा भारत नाम की मेरी कविता मेरे स्कूल के मैगजीन में छपी थी। मैं बहुत खुश थी। फिर कई सालों बाद युहीं लिखने का मन किया। फिर धिरे धिरे ये शौक के साथ आदत बनता गया। आज कितनी भी व्यस्त रहूं। कैसा भी लिखुं। पर लिखती जरुर हूं। मुझे अच्छा लगता है। अपना हुनर कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

©Priti Singh

#alone

7 Love

#अनुभव #walkingalone

#apjabdulkalam

किसी की इतनी फ़िक्र मत करो। कि वो तुम्हें लेकर बेफिक्र हो जाए। किसी का इतना ख्याल मत करो। कि उसे कभी तुम्हारा ख्याल ही ना आए। किसी की इतनी कदर नहीं करो। कि वो तुम्हारी इज्जत करना भूल जाएं। किसी से लिए इतने मौजूद न रहो। कि उसे कभी तुम्हारे लिए वक्त ही न मिले। किसी से इतना प्यार ना करो। कि वो तुमसे प्यार करना ही भूल जाएं। किसी के लिए इतने सिधे न बनो। कि वो तुम्हारा फायदा उठाएं। Priti सिंह ©Priti Singh

#अनुभव #apjabdulkalam  किसी की इतनी फ़िक्र मत करो। कि वो तुम्हें लेकर बेफिक्र हो जाए। किसी का इतना ख्याल मत करो। कि उसे कभी तुम्हारा ख्याल ही ना आए। किसी की इतनी कदर नहीं करो। कि वो तुम्हारी इज्जत करना भूल जाएं। किसी से लिए इतने मौजूद न रहो। कि उसे कभी तुम्हारे लिए वक्त ही न मिले। किसी से इतना प्यार ना करो। कि वो तुमसे प्यार करना ही भूल जाएं। किसी के लिए इतने सिधे न बनो। कि वो तुम्हारा फायदा उठाएं।

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