मैं और मेरी तन्हाई"सोलहवाॅ भाग जब बस रुकी तो हम स

""मैं और मेरी तन्हाई"सोलहवाॅ भाग जब बस रुकी तो हम सब उतर गए और हमने फ्रेश होकर भोजन करने को बैठ गए तभी पास में बैठे शिक्षक बातें कर रहे थे कि एक लड़के की जिम्मेदारी स्वयं प्रिन्सिपल मैडम ने ली है और उसका पूरा खर्च भी वे ही उठा रही हैं यह सुनकर मै मीनाक्षी मैडम का आजीवन आभारी बन गया था                         मैंने और शीतल ने खाना खाया और बस में बैठ गए और अब मेरे मन में उठ रहे सभी प्रश्नों का जवाब मुझे मिल चुका था अब टूर में जाने वहाॅ घूमने का आनन्द उठाना चाहता था हम सभी ने बस में बैठकर अंत्याक्षरी खेली और आज मेरी बारी थी शीतल को परेशान करने की मैने मौका देखकर शीतल के बैग से कपडे़ निकालकर उसकी सहेली के बैग में डाल दिए और उसकी सहेली के कपडे़ उसके बैग में डाल दिए थे उधर शाम होते होते हमारी बस हरिद्वार पहुँच चुकी थी हम सब इतने थक चुके थे कि हम सबने अपने अपने कमरे को तलाश लिया और तुरन्त सो गए अगली सुबह एक नई सुबह एक नई जगह घूमना और अभी शीतल के साथ जो होने वाला था उसका फूला हुआ चेहरा और फूली हुई नाक भी देखना बाकी था फिर                                      *प्रकाश*"

 "मैं और मेरी तन्हाई"सोलहवाॅ भाग
जब बस रुकी तो हम सब उतर गए और हमने फ्रेश होकर भोजन करने को बैठ गए तभी पास में बैठे शिक्षक बातें कर रहे थे कि एक लड़के की जिम्मेदारी स्वयं प्रिन्सिपल मैडम ने ली है और उसका पूरा खर्च भी वे ही उठा रही हैं यह सुनकर मै मीनाक्षी मैडम का आजीवन आभारी बन गया था
                        मैंने और शीतल ने खाना खाया और बस में बैठ गए और अब मेरे मन में उठ रहे सभी प्रश्नों का जवाब मुझे मिल चुका था अब टूर में जाने वहाॅ घूमने का आनन्द उठाना चाहता था हम सभी ने बस में बैठकर अंत्याक्षरी खेली और आज मेरी बारी थी शीतल को परेशान करने की मैने मौका देखकर शीतल के बैग से कपडे़ निकालकर उसकी सहेली के बैग में डाल दिए और उसकी सहेली के कपडे़ उसके बैग में डाल दिए थे उधर शाम होते होते हमारी बस हरिद्वार पहुँच चुकी थी हम सब इतने थक चुके थे कि हम सबने अपने अपने कमरे को तलाश लिया और तुरन्त सो गए अगली सुबह एक नई सुबह एक नई जगह घूमना और अभी शीतल के साथ जो होने वाला था उसका फूला हुआ चेहरा और फूली हुई नाक भी देखना बाकी था फिर
                                     *प्रकाश*

"मैं और मेरी तन्हाई"सोलहवाॅ भाग जब बस रुकी तो हम सब उतर गए और हमने फ्रेश होकर भोजन करने को बैठ गए तभी पास में बैठे शिक्षक बातें कर रहे थे कि एक लड़के की जिम्मेदारी स्वयं प्रिन्सिपल मैडम ने ली है और उसका पूरा खर्च भी वे ही उठा रही हैं यह सुनकर मै मीनाक्षी मैडम का आजीवन आभारी बन गया था                         मैंने और शीतल ने खाना खाया और बस में बैठ गए और अब मेरे मन में उठ रहे सभी प्रश्नों का जवाब मुझे मिल चुका था अब टूर में जाने वहाॅ घूमने का आनन्द उठाना चाहता था हम सभी ने बस में बैठकर अंत्याक्षरी खेली और आज मेरी बारी थी शीतल को परेशान करने की मैने मौका देखकर शीतल के बैग से कपडे़ निकालकर उसकी सहेली के बैग में डाल दिए और उसकी सहेली के कपडे़ उसके बैग में डाल दिए थे उधर शाम होते होते हमारी बस हरिद्वार पहुँच चुकी थी हम सब इतने थक चुके थे कि हम सबने अपने अपने कमरे को तलाश लिया और तुरन्त सो गए अगली सुबह एक नई सुबह एक नई जगह घूमना और अभी शीतल के साथ जो होने वाला था उसका फूला हुआ चेहरा और फूली हुई नाक भी देखना बाकी था फिर                                      *प्रकाश*

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