न आदि है
न अंत है
शिव अनंत है
न जन्म है
न मृत्यु है
शिव अमर्त्य है
एक हाथ डमरू
दूजे त्रिशूल है
शीश गंग, माथे चंद्र
लपेटे गले पन्नग है
निवासी कैलास का
काशी में विराजता है
नीलकंठ, जटाधारी
सारी सृष्टि संभालता है
आशुतोष, भूतभावन
वह दिक दिगंत है
न आदि है
न अंत है
शिव अनंत है
©Kirbadh
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