बुरके वाली औरत - एक अनोखा प्रेम का अहसा मैने उ

"बुरके वाली औरत - एक अनोखा प्रेम का अहसा मैने उसकी झीझक दूर करने की कोशिश मैं अपना हाथ जैसे ही बढाया वह पिछे पलट कर भाग गई मैं कुछ समझ नहीं पाया दो तीन दिनो तक वह नजर न आयी मेरी बेचेनी बढ़ती जा रही थी और मन में हजारों सवाल थे ...... poori kahani caption me pade ......"

 बुरके वाली औरत - एक अनोखा प्रेम का अहसा




मैने उसकी झीझक दूर करने की कोशिश मैं अपना हाथ जैसे ही बढाया वह पिछे पलट कर भाग गई मैं कुछ समझ नहीं पाया 
दो तीन दिनो तक वह नजर न आयी मेरी बेचेनी बढ़ती जा रही थी और मन में हजारों सवाल थे ......
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बुरके वाली औरत - एक अनोखा प्रेम का अहसा मैने उसकी झीझक दूर करने की कोशिश मैं अपना हाथ जैसे ही बढाया वह पिछे पलट कर भाग गई मैं कुछ समझ नहीं पाया दो तीन दिनो तक वह नजर न आयी मेरी बेचेनी बढ़ती जा रही थी और मन में हजारों सवाल थे ...... poori kahani caption me pade ......

बुरके वाली औरत - एक अनोखा प्रेम का अहसास

बात कुछ ही दिनो पुरानी है एक दिन मैं सड़क से गुजर रहा था कि
अचानक मेरी नजर एक निगाह से मिली और मैं उन मस्त आँखों
की गलियों में खो गया और अब तो ये मेरा रोज का काम था मैं रोज उसी समय अर्थात 9:00 बजे जाकर वहाँ सड़क के एक किनारे पर लगे बेंच पर बैठा उसका इंतजार करता और शायद उसे भी कहीं न कहीं इस बात का एहसास हो गया था
एक दिन मैं अपने आपको रोक न सका और उसके सामने जाकर खड़ा हो गया वो थोड़ा डर कर दो कदम पीछे हट गई मैने कहा,
आप डरिये मत , मैं आपको रोज यहाँ से गुजरते देखता हूँ आप का नाम क्या है? अगर आपको कोई दिक्कत नहीं हो तो , दोस्त
मैने उसकी झीझक दूर करने की कोशिश मैं अपना हाथ जैसे ही बढाया वह पिछे पलट कर भाग गई मैं कुछ समझ नहीं पाया

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