गुलाब का फूल # गवाह कोमल प्रेम का #
हाँ , मैं गुलाब ज़िसे प्रेम का प्रतीक मानते हुए अपने दिल के अनकहे जजबातों को अपने प्रेमी य़ा प्रेमिका तक पहुँचाने का एक
सीधा और सरल माध्यम ,पर क्या लोग यह सोचते हैं कि क्यों मुझे ही चुना जाता है। मैं बताता हूँ भले मेरा जीवन क्षण भर का हो पर मेरी खूशबू हमेशा हवाओं के द्वारा दूर - दूर तक फैलती है और लोंगों को आनन्द प्रदान करती है लोंगो को ताजगी प्रदान करती है क्योंकि जीवन में अपने लिये सब जीते हैं पर दूसरों के लिये जीवन जीना और उनसे प्रेम करना यही मेरा कर्म भी है और धर्म भी और जीवन का सार भी यही है
तभी तो आज रोहन और स्मिता ने भी वही किया दोनो ने ही प्रेम विवाह किया और मानवता की सेवा को ही अपना कर्म और धर्म बना लिया
स्मिता और रोहन पेशे से docter हैं वे सभी रोगियों का जो सच में लाचार और मजबूर हैं उनका मुफ्त में इलाज करते हैं और जो मजबूत हैं वे अपनी कमाई का कुछ हिस्सा उनके मानव सेवा को देखते हुए कमाई का कुछ हिस्सा उन्हे भलाई के काम हेतु मदद के तौर पर यह कहकर देते हैं कि इसी बहाने वे भी मानवता की सेवा में अपना योगदान दे पा रहें है स्मिता और रोहन एक ऐसे अनाथ आश्रम में कार्यरत हैं जहां पर समाज आजादी के नाम पर अपनी मौज मस्ती के निशां कचरो की पेटियों , अस्पतालों में छोड़ दिया करते हैं और ये दोनो उन्ही अधखिले गुलाबों को लाकर उन्हें सही परवरिश और ग्यान देकर समाज को असभ्य बनते समाज को सुसभ्य बनाने का बीड़ा उठा लिया है ताकी गुलाब के प्रतीक ये कल की धरोहर अपने कर्म की खुशबू से समाज और राष्ट्र को महका सकें और विकास का कार्य चलता रहे और देश बढ़ता रहे
जयहिन्द
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