नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम् समस्त विघ्न हारकं | हिंदी Video

"नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम् समस्त विघ्न हारकं समस्त अघ विनाशकम् मुदाकरं सुखाकरं मम प्रिय गणाधिपम् नमामि ते विनायकं हृद कमल निवासिनम्॥१॥ भुक्ति मुक्ति दायकं समस्त क्लेश वारकम् बुद्धि बल प्रदायकं समस्त विघ्न हारकम् धूम्रवर्ण शोभनं एक दन्त मोहनम् भजामि ते कृपाकरं मम हृदय विहारिणम्॥२॥ गजवदन शोभितं मोदकं सदा प्रियम् वक्रतुण्ड धारकं कृष्णपिच्छ मोहनम् विकटरूप धारिणं देववृन्द वन्दितम् स्मरामि विघ्नहारकं मम बन्ध मोचकम्॥३॥ सुराणां प्रधानं मूषक वाहनम् रिद्धि सिद्धि संयुतं भालचन्द्र शोभनम् ज्ञानिनां वरिष्ठं इष्ट फल प्रदायकम् सदा भावयामि त्वां सगुण रूप धारिणम् ॥४॥ सर्व विघ्न हारकं समस्त विघ्न वर्जितम् विकट रूप शोभनं मनोज दर्प मर्दनम् *सगुण रूप मोहनं गुणत्रय अतीतम् नमामि ते नमामि ते मम प्रिय गणेशम्॥५॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी "

नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम् समस्त विघ्न हारकं समस्त अघ विनाशकम् मुदाकरं सुखाकरं मम प्रिय गणाधिपम् नमामि ते विनायकं हृद कमल निवासिनम्॥१॥ भुक्ति मुक्ति दायकं समस्त क्लेश वारकम् बुद्धि बल प्रदायकं समस्त विघ्न हारकम् धूम्रवर्ण शोभनं एक दन्त मोहनम् भजामि ते कृपाकरं मम हृदय विहारिणम्॥२॥ गजवदन शोभितं मोदकं सदा प्रियम् वक्रतुण्ड धारकं कृष्णपिच्छ मोहनम् विकटरूप धारिणं देववृन्द वन्दितम् स्मरामि विघ्नहारकं मम बन्ध मोचकम्॥३॥ सुराणां प्रधानं मूषक वाहनम् रिद्धि सिद्धि संयुतं भालचन्द्र शोभनम् ज्ञानिनां वरिष्ठं इष्ट फल प्रदायकम् सदा भावयामि त्वां सगुण रूप धारिणम् ॥४॥ सर्व विघ्न हारकं समस्त विघ्न वर्जितम् विकट रूप शोभनं मनोज दर्प मर्दनम् *सगुण रूप मोहनं गुणत्रय अतीतम् नमामि ते नमामि ते मम प्रिय गणेशम्॥५॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी

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