"122 122 122 12
मुझे उम्र लंबी नहीं चाहिए
क़ज़ा भी तो जल्दी नहीं चाहिए
हैं ख़्वाहिश बहुत सारी मेरी ख़ुदा
मुझे तेरी मर्ज़ी नहीं चाहिए
कमाना है महनत से पैसा बहुत
ज़रा सी भी हानी नहीं चाहिए
चुरा ले गए तिफ़्ल का बचपना
उन्हें ज़ीस्त ऐसी नहीं चाहिए
मुझे मासुमों को बचाना है अब
ज़रा भी दलाली नहीं चाहिए
मुहब्बत "सफ़र" तेरे बस की नहीं
तिरे सा ख़्याली नहीं चाहिए"