समन नर्गिस कँवल नसरीन की निकहत तुम्हारे बा'द धनक | हिंदी शायरी

"समन नर्गिस कँवल नसरीन की निकहत तुम्हारे बा'द धनक बादल नदी पर्बत की है अज़्मत तुम्हारे बा'द ख़ुदा की इक हसीं कारीगरी है अपनी दुनिया और मुझे दुनिया के हर सामान की चाहत तुम्हारे बा'द ~आशुतोष मिश्रा 'अज़ल'"

 समन नर्गिस कँवल नसरीन की निकहत  तुम्हारे बा'द
धनक  बादल नदी  पर्बत  की  है अज़्मत तुम्हारे बा'द



ख़ुदा  की  इक हसीं कारीगरी  है  अपनी  दुनिया और
मुझे  दुनिया के  हर  सामान  की  चाहत  तुम्हारे बा'द




~आशुतोष मिश्रा 'अज़ल'

समन नर्गिस कँवल नसरीन की निकहत तुम्हारे बा'द धनक बादल नदी पर्बत की है अज़्मत तुम्हारे बा'द ख़ुदा की इक हसीं कारीगरी है अपनी दुनिया और मुझे दुनिया के हर सामान की चाहत तुम्हारे बा'द ~आशुतोष मिश्रा 'अज़ल'

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