तुम्हें एक दफा देखने का हसरतें जाग उठी थी। | हिंदी लव

"तुम्हें एक दफा देखने का हसरतें जाग उठी थी। फिर तुम्हें ढूंढने निकले तो, तुम गुमनाम निकली थी।। जिन्हें पत्थर भी जानते थे। ©BHARAT BHUSHAN ROY"

 तुम्हें एक दफा देखने का हसरतें
      जाग उठी  थी।
 फिर तुम्हें ढूंढने निकले तो,
 तुम गुमनाम निकली थी।। 
जिन्हें पत्थर भी जानते थे।

©BHARAT BHUSHAN ROY

तुम्हें एक दफा देखने का हसरतें जाग उठी थी। फिर तुम्हें ढूंढने निकले तो, तुम गुमनाम निकली थी।। जिन्हें पत्थर भी जानते थे। ©BHARAT BHUSHAN ROY

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