"White सुबह की शुरुआत हो तुम, शाम की वो अंतिम अहसास हो तुम,
जैसे वर्षा ऋतु की बूंद बूंद के लिए तरसती धरती,
हां यकीनन वो ही बरसात हो तुम,
स्वरों की साधना हो तुम,
सरगम की मीठी तान हो तुम,
जैसे मधु छत्ते पे भरी एक एक बूंद शहद का
हां यकीनन वो ही सुधा मकरंद हो तुम 👏🏻
©rjwriter/singer/sayar/king
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