ख़ाब की बातें करूँ या मैं हक़ीक़त बोल दूँ ख़ाब ही गर ह | हिंदी Shayari

"ख़ाब की बातें करूँ या मैं हक़ीक़त बोल दूँ ख़ाब ही गर हो हक़ीक़त फिर कहो मैं क्या कहूँ वो मुरद्दफ़ इक ग़ज़ल हर बात उसपे जा टिके कोई भी तरक़ीब हो उसपे ले जा के छोड़ दूँ दोस्तों ने कह दिए अशआर लाखों और मैं सोचता ही रह गया कैसे बड़ा शाइर बनूँ अब बिखरने के अलावा और क्या है रास्ता अब बिखर के ही मिलेगा आख़िरश मुझको सुकूँ बिन कहे सब कुछ कहूँ आता नहीं ये फ़न मुझे हैसियत ही क्या मिरी जो एक मिसरा कह सकूँ इश्क़ में कैसा नज़ारा बन गया है देख लो मुस्कुराऊँ याद करके आह भर के रो पड़ूँ ©UrbanFakeer Gautam Sharma"

 ख़ाब की बातें करूँ या मैं हक़ीक़त बोल दूँ
ख़ाब ही गर हो हक़ीक़त फिर कहो मैं क्या कहूँ

वो मुरद्दफ़ इक ग़ज़ल हर बात उसपे जा टिके
कोई भी तरक़ीब हो उसपे ले जा के छोड़ दूँ

दोस्तों ने कह दिए अशआर लाखों और मैं
सोचता ही रह गया कैसे बड़ा शाइर बनूँ

अब बिखरने के अलावा और क्या है रास्ता
अब बिखर के ही मिलेगा आख़िरश मुझको सुकूँ

बिन कहे सब कुछ कहूँ आता नहीं ये फ़न मुझे
हैसियत ही क्या मिरी जो एक मिसरा कह सकूँ

इश्क़ में कैसा नज़ारा बन गया है देख लो
मुस्कुराऊँ याद करके आह भर के रो पड़ूँ

©UrbanFakeer Gautam Sharma

ख़ाब की बातें करूँ या मैं हक़ीक़त बोल दूँ ख़ाब ही गर हो हक़ीक़त फिर कहो मैं क्या कहूँ वो मुरद्दफ़ इक ग़ज़ल हर बात उसपे जा टिके कोई भी तरक़ीब हो उसपे ले जा के छोड़ दूँ दोस्तों ने कह दिए अशआर लाखों और मैं सोचता ही रह गया कैसे बड़ा शाइर बनूँ अब बिखरने के अलावा और क्या है रास्ता अब बिखर के ही मिलेगा आख़िरश मुझको सुकूँ बिन कहे सब कुछ कहूँ आता नहीं ये फ़न मुझे हैसियत ही क्या मिरी जो एक मिसरा कह सकूँ इश्क़ में कैसा नज़ारा बन गया है देख लो मुस्कुराऊँ याद करके आह भर के रो पड़ूँ ©UrbanFakeer Gautam Sharma

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