UrbanFakeer Gautam Sharma

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Shayar hona chahta hoon, safar jaari hai

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ग़ज़ल -------- दो जहाँ के परे ख़ाब रोते रहे और हम चैन से रात सोते रहे ज़िन्दगी बेदिली से नहीं जी कभी हम मगर दर्द का बोझ ढोते रहे आरज़ू जुस्तजू चाहतें खाहिशें मन्नतें मिन्नतें काम होते रहे ओढ़ कर शाम को बादलों का नक़ाब प्यार को प्यार से हम भिगोते रहे बात बनती रही टूटती भी रही पास आते रहे दूर होते रहे ©UrbanFakeer Gautam Sharma

#urbanfakeer #mohabbat #Muhabbat #Zindagi #ghazal  ग़ज़ल
--------
दो जहाँ के परे ख़ाब रोते रहे
और हम चैन से रात सोते रहे

ज़िन्दगी बेदिली से नहीं जी कभी
हम मगर दर्द का बोझ ढोते रहे

आरज़ू जुस्तजू चाहतें खाहिशें
मन्नतें मिन्नतें काम होते रहे

ओढ़ कर शाम को बादलों का नक़ाब
प्यार को प्यार से हम भिगोते रहे

बात बनती रही टूटती भी रही
पास आते रहे दूर होते रहे

©UrbanFakeer Gautam Sharma

Jeet Jayenge Hum

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Saturday, 29 May | 08:00 pm

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ग़ज़ल --------- ग़म होता है जब कोई उनवान बदलता है ऐसा लगता है दिल का मेहमान बदलता है कसमों वादों जैसी कोई चीज़ नहीं होती हाल बदल जाये तो फिर पैमान बदलता है दावा पुख़्ता हो तो अड़ना अच्छा है पर वो अपनी बात मनाने को मीज़ान बदलता है सच्चा नग़मा काफ़ी था पहचान बनाने को झूठी ग़ज़लें कह कर क्यूँ पहचान बदलता है लफ़्ज़ नए हैं लेकिन सारी बात पुरानी है लाश वही है उसका कब्रस्तान बदलता ©UrbanFakeer Gautam Sharma

 ग़ज़ल
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ग़म होता है जब कोई उनवान बदलता है
ऐसा लगता है दिल का मेहमान बदलता है

कसमों वादों जैसी कोई चीज़ नहीं होती
हाल बदल जाये तो फिर पैमान बदलता है

दावा पुख़्ता हो तो अड़ना अच्छा है पर वो
अपनी बात मनाने को मीज़ान बदलता है

सच्चा नग़मा काफ़ी था पहचान बनाने को
झूठी ग़ज़लें कह कर क्यूँ पहचान बदलता है

लफ़्ज़ नए हैं लेकिन सारी बात पुरानी है
लाश वही है उसका कब्रस्तान बदलता

©UrbanFakeer Gautam Sharma

Ghazal उनवान: title/manner of addressing people पैमान: agreement/treaty मीज़ान: balance #urbanfakeer #ghazal #shayari #shayri #poem #poetry #poetsofindia #sheroshayari

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Rafa Dafa : Nazmo Ki Ek Sham

Rafa Dafa : Nazmo Ki Ek Sham

Friday, 5 February | 09:00 pm

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ख़ाब की बातें करूँ या मैं हक़ीक़त बोल दूँ ख़ाब ही गर हो हक़ीक़त फिर कहो मैं क्या कहूँ वो मुरद्दफ़ इक ग़ज़ल हर बात उसपे जा टिके कोई भी तरक़ीब हो उसपे ले जा के छोड़ दूँ दोस्तों ने कह दिए अशआर लाखों और मैं सोचता ही रह गया कैसे बड़ा शाइर बनूँ अब बिखरने के अलावा और क्या है रास्ता अब बिखर के ही मिलेगा आख़िरश मुझको सुकूँ बिन कहे सब कुछ कहूँ आता नहीं ये फ़न मुझे हैसियत ही क्या मिरी जो एक मिसरा कह सकूँ इश्क़ में कैसा नज़ारा बन गया है देख लो मुस्कुराऊँ याद करके आह भर के रो पड़ूँ ©UrbanFakeer Gautam Sharma

#urbanfakeer #ghazal #sukoon #pyaar  ख़ाब की बातें करूँ या मैं हक़ीक़त बोल दूँ
ख़ाब ही गर हो हक़ीक़त फिर कहो मैं क्या कहूँ

वो मुरद्दफ़ इक ग़ज़ल हर बात उसपे जा टिके
कोई भी तरक़ीब हो उसपे ले जा के छोड़ दूँ

दोस्तों ने कह दिए अशआर लाखों और मैं
सोचता ही रह गया कैसे बड़ा शाइर बनूँ

अब बिखरने के अलावा और क्या है रास्ता
अब बिखर के ही मिलेगा आख़िरश मुझको सुकूँ

बिन कहे सब कुछ कहूँ आता नहीं ये फ़न मुझे
हैसियत ही क्या मिरी जो एक मिसरा कह सकूँ

इश्क़ में कैसा नज़ारा बन गया है देख लो
मुस्कुराऊँ याद करके आह भर के रो पड़ूँ

©UrbanFakeer Gautam Sharma

#nagma by #urbanfakeer Gautam Sharma #nojoto #nojotoapp #poem #lovesong #melody #love #Muhabbat

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