लड़की:-अगर इतना ही प्रेम है! | हिंदी Poetry

"लड़की:-अगर इतना ही प्रेम है! तो देवदास या पागल क्यूँ नहीं हुए? तुम लड़का:-जिसके के सर पर मेरी "माँ"- सा हाथ हो! वो पागल या देवदास नहीं हो सकता उसे तो देवदास से भी अधिक प्रेम होगा! वो प्रेम को भी भक्ति की भाँति निभाता है! जेसे:- माता सीता के वियोग में , श्री राम ने अपना साहस, स्वाभिमान, आत्मसम्मान, अपनी जिम्मेदारियाँ से नहीं चुके! और सदेव माता सीता के प्रेम में लीन रहेे। गोकुल ©Gokul Sharma"

 लड़की:-अगर इतना ही प्रेम है!                               
           तो देवदास या पागल क्यूँ नहीं हुए? तुम 


लड़का:-जिसके के सर पर मेरी "माँ"- सा हाथ हो!
       वो पागल या देवदास नहीं हो सकता 

उसे तो देवदास से भी अधिक प्रेम होगा!
वो प्रेम को भी भक्ति की भाँति निभाता है!

जेसे:-  माता सीता के वियोग में , श्री राम ने अपना साहस, स्वाभिमान, आत्मसम्मान, अपनी जिम्मेदारियाँ से नहीं चुके!
और सदेव माता सीता के प्रेम में लीन रहेे।

गोकुल

©Gokul Sharma

लड़की:-अगर इतना ही प्रेम है! तो देवदास या पागल क्यूँ नहीं हुए? तुम लड़का:-जिसके के सर पर मेरी "माँ"- सा हाथ हो! वो पागल या देवदास नहीं हो सकता उसे तो देवदास से भी अधिक प्रेम होगा! वो प्रेम को भी भक्ति की भाँति निभाता है! जेसे:- माता सीता के वियोग में , श्री राम ने अपना साहस, स्वाभिमान, आत्मसम्मान, अपनी जिम्मेदारियाँ से नहीं चुके! और सदेव माता सीता के प्रेम में लीन रहेे। गोकुल ©Gokul Sharma

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