लड़का:-सुनो! तुम बै'फिक्र रहो,
मैं तुमसे बात करना नहीं चाहता
मैं तुम्हें जताना नहीं चाहता
मेरा प्रेम........
मुझे पता हैं, तुम खुश हो, बहुत खुश हो !
यहीं काफ़ी है, मेरे लिए...
कभी-कभी,कहीं से जान लूं , हाल तुम्हारा!
यही काफ़ी हैं, मेरे लिए....❤️
बस उषा कि पहली किरणों में
तुम्हें याद कर लूं,
और संध्या काल में लिख दूँ!
एक कविता...
इस एकान्तिक हुनर को हमसे
दूर करने कि सलाह
ना दो ....
इतनी कठोर न बनो, यही एकमात्र इस रुग्णता की औषधि है ।❤️
लड़की:- नि:शब्द !
"गोकुल"
©Gokul Sharma
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