Village Life मेरे घर कि दीवारों पर तन्हाइयां हैं
जिगर में हो मगर वीरानियां हैं
उसी चौखट पे बैठूं,सबको निहारूं
जहां तेरी रूहानी , परछाइयां हैं
तुम्ही से दूर होकर,दिल को मनाना
दिलों कि तो यहीं गुस्ताखियां हैं
न आओगी ,लौट कर के तुम मां
बयां करती तुम्हारी, निशानियां हैं
नही कहता आने को दिल ये तुम्हारा
मुझे हीं क्यों भला बेचैनियाँ हैं
वहीं पर बैठ कर अब भी शामें गुजारूं
जहां तेरी सदाकत हैं, रुहानियां हैं
राजीव
©samandar Speaks
#villagelife ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री) @Satyaprem Upadhyay @Mukesh Poonia @Samima Khatun @Khushi Tiwari