जाने वाले चले जाते हैं और छोड़ जाते हैं काँच के पैने टुकड़ों सी अपनी यादें को ,
जो हर रोज़ चुभती हैं और नया जख्म दे जाती है तो पुराने को कुरेद देती है ,
पीछे छोड़ जाते हैं चलती फिरती लाशों को ,
इंतज़ार करती आंखों को , सवाल करते होंठो को,
बवालों को , उलझे हुए बालों को ,
तलुवे की दरारों को , यादों की लावे सी फुहारों को,
जाने वाले तो चले जाते हैं और ले जाते हैं सारी खुशियां , सारे अरमान ,चेहरे की मुस्कान , उनकी चाहत को , उनकी आदत को ,
पीछे छोड़ जाते हैं मुर्दों से दिन को , गरजती रातों को,
उफान मारती लहू की नदियों को , करीब आती वक़्त से पहले मौत की आहट को ,
साक्षी सोनी ।
©Sakshi Soni "Aks"
#GarajteBaadal