Sakshi

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मेरे किरदार में अदाकारी नहीं है, खुद्दारी है, गुरूर है, मगर मक्कारी नहीं है ।। MY INSTAGRAM ID :- @_aks_writer https://instagram.com/_aks_writer?igshid=ZDdkNTZiNTM= https://pocketnovel.onelink.me/tSZo/u8lt7w2h https://pratilipi.page.link/aBDdoZz3Sc8ZQFe97

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#Blossom  उलझे हुए हैं सब लावण्य में ,
कोई मेरी सादगी में उलझे तो मैं सोचूँ ,
सोचूँ कोई उलझे मेरे किरदार में ,
ले लूं सारी उलझन उसकी ,
जो उलझे सच्ची मुझसे ,
सुलझा दूं उसको खुद को उलझा के ,
पर कोई उलझे तो मुझसी उलझन से ।




साक्षी सोनी ।

©Sakshi

उलझे हुए हैं सब लावण्य में , कोई मेरी सादगी में उलझे तो मैं सोचूँ , सोचूँ कोई उलझे मेरे किरदार में , ले लूं सारी उलझन उसकी , जो उलझे सच्ची मुझसे , सुलझा दूं उसको खुद को उलझा के ,

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#GaneshChaturthi  गणपति बप्पा मोरया
❤️🙏❤️

©Sakshi Soni "Aks"
#Shajar  जो मिला उसकी तलब ना थी ,
जो गया उसकी फिक्र ना की ,
हम हैं कि आईने में पहचान में नहीं आ रहे ,
जो नज़र आ रहा उसे जानते नहीं ,
जिसे जानते थे वह अब रहा नहीं ,
कह सकते हैं कि हम अभी मरे नहीं ,
पर हम तो कब के रहे नहीं ।।



साक्षी सोनी ।।

©Sakshi Soni "Aks"

#Shajar

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#akela  तेरे बिन बसर करते करते हर पल गुज़र रहे हैं ,
है यकीन आएगा तू जनाज़े पर मेरे ,
इसलिए हम खाक में मिलने के इंतजार में ,
तेरी एक नज़र भर के लिए ,
 हर गुजरते पल संवर रहे हैं ।




साक्षी सोनी ।

©Sakshi Soni "Aks"

#akela

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#GarajteBaadal  जाने वाले चले जाते हैं और छोड़ जाते हैं काँच के पैने टुकड़ों सी अपनी यादें को ,
जो हर रोज़ चुभती हैं और नया जख्म दे जाती है तो पुराने को कुरेद देती है ,
पीछे छोड़ जाते हैं चलती फिरती लाशों को ,
इंतज़ार करती आंखों को , सवाल करते होंठो को,
बवालों को , उलझे हुए बालों को ,
तलुवे की दरारों को , यादों की लावे सी फुहारों को,
जाने वाले तो चले जाते हैं और ले जाते हैं सारी खुशियां , सारे अरमान ,चेहरे की मुस्कान , उनकी चाहत को , उनकी आदत को ,
पीछे छोड़ जाते हैं मुर्दों से दिन को , गरजती रातों को,
उफान मारती लहू की नदियों को , करीब आती वक़्त से पहले मौत की आहट को ,




साक्षी सोनी ।

©Sakshi Soni "Aks"

#GarajteBaadal

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#WoRaat  कुछ डर थे जो सच साबित हो गए ,
कुछ अपने थे जो बेगाने हो गए ,
कुछ इंसान थे जो मौसम की तरह बदल गए,
मेरे कुछ अहसास थे जो टूट कर बिखर गए ,
कुछ वहम थे जो हाथों से छूट गए ,
कुछ भ्रम थे जो यथार्थ में बदल गए ,
बदला बहुत कुछ औऱ हम भी इस बदलाव की बलि चढ़ गए ।।



साक्षी सोनी ।

©Sakshi Soni "Aks"

कुछ डर थे जो सच साबित हो गए , कुछ अपने थे जो बेगाने हो गए , कुछ इंसान थे जो मौसम की तरह बदल गए, मेरे कुछ अहसास थे जो टूट कर बिखर गए , कुछ वहम थे जो हाथों से छूट गए , कुछ भ्रम थे जो यथार्थ में बदल गए , बदला बहुत कुछ औऱ हम भी इस बदलाव की बलि चढ़ गए ।।

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