उलझे हुए हैं सब लावण्य में , कोई मेरी सादगी में उल | हिंदी Poetry Vide

"उलझे हुए हैं सब लावण्य में , कोई मेरी सादगी में उलझे तो मैं सोचूँ , सोचूँ कोई उलझे मेरे किरदार में , ले लूं सारी उलझन उसकी , जो उलझे सच्ची मुझसे , सुलझा दूं उसको खुद को उलझा के , पर कोई उलझे तो मुझसी उलझन से । साक्षी सोनी । ©Sakshi "

उलझे हुए हैं सब लावण्य में , कोई मेरी सादगी में उलझे तो मैं सोचूँ , सोचूँ कोई उलझे मेरे किरदार में , ले लूं सारी उलझन उसकी , जो उलझे सच्ची मुझसे , सुलझा दूं उसको खुद को उलझा के , पर कोई उलझे तो मुझसी उलझन से । साक्षी सोनी । ©Sakshi



उलझे हुए हैं सब लावण्य में ,
कोई मेरी सादगी में उलझे तो मैं सोचूँ ,
सोचूँ कोई उलझे मेरे किरदार में ,
ले लूं सारी उलझन उसकी ,
जो उलझे सच्ची मुझसे ,
सुलझा दूं उसको खुद को उलझा के ,

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