कुछ डर थे जो सच साबित हो गए ,
कुछ अपने थे जो बेगाने हो गए ,
कुछ इंसान थे जो मौसम की तरह बदल गए,
मेरे कुछ अहसास थे जो टूट कर बिखर गए ,
कुछ वहम थे जो हाथों से छूट गए ,
कुछ भ्रम थे जो यथार्थ में बदल गए ,
बदला बहुत कुछ औऱ हम भी इस बदलाव की बलि चढ़ गए ।।
साक्षी सोनी ।
©Sakshi Soni "Aks"
कुछ डर थे जो सच साबित हो गए ,
कुछ अपने थे जो बेगाने हो गए ,
कुछ इंसान थे जो मौसम की तरह बदल गए,
मेरे कुछ अहसास थे जो टूट कर बिखर गए ,
कुछ वहम थे जो हाथों से छूट गए ,
कुछ भ्रम थे जो यथार्थ में बदल गए ,
बदला बहुत कुछ औऱ हम भी इस बदलाव की बलि चढ़ गए ।।