क्या ही जाने कोई लिखा क्या है किस्मत की लकीरों में | हिंदी Shayari

"क्या ही जाने कोई लिखा क्या है किस्मत की लकीरों में, कुछ को मिल गई मंजिल कुछ बस फंसे रहे झमेलों में, मिला नही किसी को सुकून उम्र भर भी महलों में, कुछ सो गए चैन से पल भर में खुद लाख कमियों में, पड़ गया फीका किसी के सामने अथाह समुद्र भी सुन, किसी ने जी भर जिया जीवन आंखों की नामियों में, पड़ गई किसी के लिए कम महफिल दर्द बयां करने को, कोई हो गया लिख दो शेर गमगीन सिर्फ अंधेर कमरों में, इरादा नहीं था मेरा ए जिंदगी कभी लिखूं लफ्ज़ पन्नों पे, आज सामने हूं तेरे लिए कलम मैं भी मशरूफ गजलों में।। ©Alfaaz dil se"

 क्या ही जाने कोई लिखा क्या है किस्मत की लकीरों में,
कुछ को मिल गई मंजिल कुछ बस फंसे रहे झमेलों में,

मिला नही किसी को सुकून उम्र भर भी महलों में,
कुछ सो गए चैन से पल भर में खुद लाख कमियों में,
 
पड़ गया फीका किसी के सामने अथाह समुद्र भी सुन,
किसी ने जी भर जिया जीवन आंखों की नामियों में,

पड़ गई किसी के लिए कम महफिल दर्द बयां करने को,
कोई हो गया लिख दो शेर गमगीन सिर्फ अंधेर कमरों में,

इरादा नहीं था मेरा ए जिंदगी कभी लिखूं लफ्ज़ पन्नों पे,
आज सामने हूं तेरे लिए कलम मैं भी मशरूफ गजलों में।।

©Alfaaz dil se

क्या ही जाने कोई लिखा क्या है किस्मत की लकीरों में, कुछ को मिल गई मंजिल कुछ बस फंसे रहे झमेलों में, मिला नही किसी को सुकून उम्र भर भी महलों में, कुछ सो गए चैन से पल भर में खुद लाख कमियों में, पड़ गया फीका किसी के सामने अथाह समुद्र भी सुन, किसी ने जी भर जिया जीवन आंखों की नामियों में, पड़ गई किसी के लिए कम महफिल दर्द बयां करने को, कोई हो गया लिख दो शेर गमगीन सिर्फ अंधेर कमरों में, इरादा नहीं था मेरा ए जिंदगी कभी लिखूं लफ्ज़ पन्नों पे, आज सामने हूं तेरे लिए कलम मैं भी मशरूफ गजलों में।। ©Alfaaz dil se

#Aansu

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