आज भी तुम्हें खुद में टटोलता हूँ तुम्हारी यादों के | हिंदी कविता

"आज भी तुम्हें खुद में टटोलता हूँ तुम्हारी यादों के पर खोलता हूँ कमरे में तेरी तस्वीर तो नहीं है पर इन दीवारों से भी कितना बोलता हूँ ~ रौशु करो ©Raushu Raushan"

 आज भी तुम्हें खुद में टटोलता हूँ
तुम्हारी यादों के पर खोलता हूँ
कमरे में तेरी तस्वीर तो नहीं है पर
इन दीवारों से भी कितना बोलता हूँ

~  रौशु करो

©Raushu Raushan

आज भी तुम्हें खुद में टटोलता हूँ तुम्हारी यादों के पर खोलता हूँ कमरे में तेरी तस्वीर तो नहीं है पर इन दीवारों से भी कितना बोलता हूँ ~ रौशु करो ©Raushu Raushan

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