आंखों के कोनों पर आकर क्यों नींद यूं ठहरी है टूटी | हिंदी शायरी Video

"आंखों के कोनों पर आकर क्यों नींद यूं ठहरी है टूटी है कुछ उम्मीदें या फिर रात ही गहरी है गांव की तरफ भी कोई सड़क जाती है क्या हमें क्या मालूम हम तो अब बन चुके शहरी हैं ©saurabh pandey "

आंखों के कोनों पर आकर क्यों नींद यूं ठहरी है टूटी है कुछ उम्मीदें या फिर रात ही गहरी है गांव की तरफ भी कोई सड़क जाती है क्या हमें क्या मालूम हम तो अब बन चुके शहरी हैं ©saurabh pandey

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