गर आज नहीं तो कल होगी, वो रिमझिम बारिश ज्ञान मयी। | हिंदी कविता

"गर आज नहीं तो कल होगी, वो रिमझिम बारिश ज्ञान मयी। इक बदली भी गर छा जाये, तो ढह जाये मिथ्या नगरी। कैसा प्रपंच कैसी माया, कैसा धन ये कैसी काया। क्षण भंगुर इस जीवन में क्या? मैं एक अनादि चितवाला।। ✍🏻 अभिषेक कुमार जैन . ©Abhishek Jain"

 गर आज नहीं तो कल होगी, वो रिमझिम बारिश ज्ञान मयी।
इक  बदली  भी गर छा जाये,  तो ढह  जाये  मिथ्या नगरी।
कैसा  प्रपंच  कैसी माया,  कैसा धन ये  कैसी काया।
क्षण भंगुर इस जीवन में क्या? मैं एक अनादि चितवाला।।


✍🏻 अभिषेक कुमार जैन











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©Abhishek Jain

गर आज नहीं तो कल होगी, वो रिमझिम बारिश ज्ञान मयी। इक बदली भी गर छा जाये, तो ढह जाये मिथ्या नगरी। कैसा प्रपंच कैसी माया, कैसा धन ये कैसी काया। क्षण भंगुर इस जीवन में क्या? मैं एक अनादि चितवाला।। ✍🏻 अभिषेक कुमार जैन . ©Abhishek Jain

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