दे सको कुछ मुझको तो इक मरहम देना पास आ के तुम मुझक | हिंदी Love
"दे सको कुछ मुझको तो इक मरहम देना
पास आ के तुम मुझको एक क़लम देना
क्या करे सुबह शाम कट जाती है ये रातें नहीं
स्याही तो ख़त्म हो जाती है पर बातें नहीं
-फ़र्ज़ी गुलज़ार✍️"
दे सको कुछ मुझको तो इक मरहम देना
पास आ के तुम मुझको एक क़लम देना
क्या करे सुबह शाम कट जाती है ये रातें नहीं
स्याही तो ख़त्म हो जाती है पर बातें नहीं
-फ़र्ज़ी गुलज़ार✍️