जब भी मै कहती थी सब सच सच बताओ वो कह देता था रात | हिंदी कविता

"जब भी मै कहती थी सब सच सच बताओ वो कह देता था रात बहुत हो गई सो जाओ पूछ लू कब करना जगजाहिर ये इश्क़ अपना कहता थोड़ा वक़्त दो, कुछ दिन और छुपाओ जो कह दु अगर कैसे मानोगे इश्क़ है तुमसे कहता था मेहंदी मे मेरा तुम नाम लिखाओ बाते इश्क़ की आती ही कहा थी उसको कोई बस कहता रहता था और बताओ और बताओ ©Er. Ajay pawar"

 जब भी मै कहती थी सब सच सच बताओ 
वो कह देता था रात बहुत हो गई सो जाओ

पूछ लू कब करना जगजाहिर ये इश्क़ अपना
कहता थोड़ा वक़्त दो, कुछ दिन और छुपाओ

जो कह दु अगर कैसे मानोगे इश्क़ है तुमसे 
कहता था मेहंदी मे मेरा तुम नाम लिखाओ

बाते इश्क़ की आती ही कहा थी उसको कोई
बस कहता रहता था और बताओ और बताओ

©Er. Ajay pawar

जब भी मै कहती थी सब सच सच बताओ वो कह देता था रात बहुत हो गई सो जाओ पूछ लू कब करना जगजाहिर ये इश्क़ अपना कहता थोड़ा वक़्त दो, कुछ दिन और छुपाओ जो कह दु अगर कैसे मानोगे इश्क़ है तुमसे कहता था मेहंदी मे मेरा तुम नाम लिखाओ बाते इश्क़ की आती ही कहा थी उसको कोई बस कहता रहता था और बताओ और बताओ ©Er. Ajay pawar

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