Er. Ajay pawar

Er. Ajay pawar Lives in Chhindwara, Madhya Pradesh, India

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#शायरी  ये हवाए अच्छी लगने लगती है
 ये घटाये अच्छी लगने लगती है
 खूब मचलने लगता है दिल
 जब पहला प्यार होता है...! 

 हर पल ख्याल उसका आता है
 हर शख्स में नज़र वो आता है 
ख़ुस रहने लगता है दिल 
जब पहला प्यार होता है...! 

 उसे पहला संदेश पहुंचाना हो 
या फिर पहला फोन मिलाना हो 
धड़कने तेज हो जाती है 
जब पहला प्यार होता है...! 

 प्यार के लिए लड़ जाऊंगा 
मै मर जाउंगा मिट जाउंगा 
खुद पर खुमार होता है 
जब पहला प्यार होता है...! 

मिलने से रोकेगा जमाना और तमाम मुश्किले 
पर खत्म न होने दूंगा मै मुलाकात के सिलसिले
 योद्धाओं वाला आत्मविश्वास आता है
 जब पहला प्यार होता है...! 

 उसे ये अच्छा लगता है वो नहीं
 मै ये करू भी या फिर हां या नहीं
बड़ी उलझनों में दिल फंस जाता है 
जब पहला प्यार होता है...! 

अपने सिवा किसी और से जो वो बात करे 
 दो पल भी किसी और से वो मुलाकात करें 
बड़े जोर का गुस्सा आता है
 जब पहला प्यार होता है...! 

बस वो सही और हू मै सही
 बाकी लगता ना कुछ सही 
इश्क पर गुमान आता है
 जब पहला प्यार होता है...!

©Er. Ajay pawar

ये हवाए अच्छी लगने लगती है ये घटाये अच्छी लगने लगती है खूब मचलने लगता है दिल जब पहला प्यार होता है...! हर पल ख्याल उसका आता है हर शख्स में नज़र वो आता है ख़ुस रहने लगता है दिल जब पहला प्यार होता है...! उसे पहला संदेश पहुंचाना हो या फिर पहला फोन मिलाना हो धड़कने तेज हो जाती है जब पहला प्यार होता है...! प्यार के लिए लड़ जाऊंगा मै मर जाउंगा मिट जाउंगा खुद पर खुमार होता है जब पहला प्यार होता है...! मिलने से रोकेगा जमाना और तमाम मुश्किले पर खत्म न होने दूंगा मै मुलाकात के सिलसिले योद्धाओं वाला आत्मविश्वास आता है जब पहला प्यार होता है...! उसे ये अच्छा लगता है वो नहीं मै ये करू भी या फिर हां या नहीं बड़ी उलझनों में दिल फंस जाता है जब पहला प्यार होता है...! अपने सिवा किसी और से जो वो बात करे दो पल भी किसी और से वो मुलाकात करें बड़े जोर का गुस्सा आता है जब पहला प्यार होता है...! बस वो सही और हू मै सही बाकी लगता ना कुछ सही इश्क पर गुमान आता है जब पहला प्यार होता है...! ©Er. Ajay pawar

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जब भी मै कहती थी सब सच सच बताओ वो कह देता था रात बहुत हो गई सो जाओ पूछ लू कब करना जगजाहिर ये इश्क़ अपना कहता थोड़ा वक़्त दो, कुछ दिन और छुपाओ जो कह दु अगर कैसे मानोगे इश्क़ है तुमसे कहता था मेहंदी मे मेरा तुम नाम लिखाओ बाते इश्क़ की आती ही कहा थी उसको कोई बस कहता रहता था और बताओ और बताओ ©Er. Ajay pawar

#कविता #silhouette  जब भी मै कहती थी सब सच सच बताओ 
वो कह देता था रात बहुत हो गई सो जाओ

पूछ लू कब करना जगजाहिर ये इश्क़ अपना
कहता थोड़ा वक़्त दो, कुछ दिन और छुपाओ

जो कह दु अगर कैसे मानोगे इश्क़ है तुमसे 
कहता था मेहंदी मे मेरा तुम नाम लिखाओ

बाते इश्क़ की आती ही कहा थी उसको कोई
बस कहता रहता था और बताओ और बताओ

©Er. Ajay pawar

#silhouette

10 Love

#कविता  क्या तू मेरी, यादो में कभी रोती होगी
 क्या फिर से हम मिले, खुदा से कहती होगी
 क्या घुट घुट के मर रही है, तू भी बिन मेरे... 
या फिर भूल के अतीत, तू आज मैं ही जीती होंगी

वैसे जी तो मैं रहा ही हूं बिन तेरे 
असल में दिन काटता हु,मै बिन तेरे
 वो जीना तो मैंने तब से है,छोड़ा 
जब छूटा था दामन से हाथ तेरे.... 

चलू कोई अब मैं, ऐसी तो कोई चाल नहीं है
तू भी संभल गई है, पहले सी बेहाल नहीं है
 देना चाहता हूँ मैं तुझे सारे जवाब..... 
पर क्यू पूछती तू ,अब कोई सवाल नहीं है? 

 मुझे तो हक नहीं कि मैं कोई सवाल करूं 
तू अब है ना खुश, फ़िर मैं क्यू बवाल करु 
माँगता फिर रहा हूँ मैं तुमसे माफ़िया.... 
बता इश्क में तेरे मैं और क्या कमाल करू? 

 पर जो होती अगर अभी भी तू साथ मेरे
 थामे होते जो अभी भी तूने हाथ मेरे 
तो ये जो तन्हाइयो मे मैं घिरा हू ना अब 
ऐसे तो ना होते कभी भी हालात मेरे ! 

जाने कैसी उलझनों मे मैं फस गया हूँ ? 
गमो का दलदल है, मैं गले तक धंस गया हूं 
बुझाना तो है मुझे ये दिल में लगी आग 
पर मैं वो बादल जो वक्त से पहले बरस गया!

©Er. Ajay pawar

क्या तू मेरी, यादो में कभी रोती होगी क्या फिर से हम मिले, खुदा से कहती होगी क्या घुट घुट के मर रही है, तू भी बिन मेरे... या फिर भूल के अतीत, तू आज मैं ही जीती होंगी वैसे जी तो मैं रहा ही हूं बिन तेरे असल में दिन काटता हु,मै बिन तेरे वो जीना तो मैंने तब से है,छोड़ा जब छूटा था दामन से हाथ तेरे.... चलू कोई अब मैं, ऐसी तो कोई चाल नहीं है तू भी संभल गई है, पहले सी बेहाल नहीं है देना चाहता हूँ मैं तुझे सारे जवाब..... पर क्यू पूछती तू ,अब कोई सवाल नहीं है? मुझे तो हक नहीं कि मैं कोई सवाल करूं तू अब है ना खुश, फ़िर मैं क्यू बवाल करु माँगता फिर रहा हूँ मैं तुमसे माफ़िया.... बता इश्क में तेरे मैं और क्या कमाल करू? पर जो होती अगर अभी भी तू साथ मेरे थामे होते जो अभी भी तूने हाथ मेरे तो ये जो तन्हाइयो मे मैं घिरा हू ना अब ऐसे तो ना होते कभी भी हालात मेरे ! जाने कैसी उलझनों मे मैं फस गया हूँ ? गमो का दलदल है, मैं गले तक धंस गया हूं बुझाना तो है मुझे ये दिल में लगी आग पर मैं वो बादल जो वक्त से पहले बरस गया! ©Er. Ajay pawar

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यही कोई 18-20 बरस की जब होंगी तुम पहले तो चोरी-चोरी किसी से करोंगी तुम प्यार फिर इज़हार का तरीका भी तुम करोगी तैयार कर दोंगी एक दिन तुम इज़हार, डरते-डरते वो लड़का भी कर देगा हाँ, न करते करते शुरू होंगे फिर ये तुम्हारीमुलाकात के सिलसिले कसमें खाओगी तुम पार करने है साथ जलजले सपने देखने लगोंगी तुम साथ के.... बारिश का मौसम और तारो वाली रात के मिलने को हर घड़ी बेचैन रहने लगेंगा दिल साथ में जमाने का डर वो तो अलग मुश्किल.. मिलोंगी जहां हर वो गली कूचा अच्छा लगने लगेगा.... मिलने मे करे मदद हर वो शख्स अच्छा लगने लगेगा.... घरवाओ की बाते बस कड़वी लगने लगेंगी तुमको परिवार से ज्यादा दुनिया भली लगने लगेगी तुमको इश्क का ये फितूर तुमको इतना उपर ले जायेगा नामुमकिन फिर तेरा नीचे उतार पाना हो जायेगा फिर बढ़ने लगेंगी तुम्हारी धड़कने दिन बा दिन उंगलियों पर गिनने लगोगी तुम भागने वाला दिन तमाम मुश्किलो के बाद तुम दोनों एक हो जायेंगे यकीन मानो .... असल चेहरे तो जनाब तब सामने आएंगे शुरूवात में कुछ रातें बड़ी हसीं होंगी तेरी देखेगी जो दुनिया वो बड़ी रंगीन होगी तेरी रखेंगा वो ख्याल कुछ दिन तेरा परियो की तरह .. कहेगा है मुस्कान तेरी फुलझड़ियों की तरह.. उसकी बाँहों मे तु मेहफूज समझेंगी खुद को उसकी दिखाई दुनिया जन्नत लगेंगी तुझ को पर ये दौर खुशनुमा,बस तब तक ही चलेगा जब तक घर से लाये पैसों से चूल्हा जलेगा पैसे ख़त्म होते ही हकीकत का सामना कर पाओंगी क्या महँगे शौक रखने वाली तुम अब सुखी रोटी खाओगी क्या स्वीकार कर पाओगी क्या रानी से फकीरों वाला जीवन? क्या अपना पाओगी प्यार से मोह भंग बाद का परिवर्तन? मान लो तुम किसी तरफ इस माहोल में ढाल भी लो खुद को पर आयेगी माँ की याद फिर कैसे रोक पाओगी तुम खुद को तुम्हें नहीं आएगा ख्याल?अपनी बहन का जो छोटी है तुमसे भूल जाओगी उस भाई को जो झूठ मुठ का लड़ता था तुमसे कब तक करोगी नज़रंदाज़ बाप को जिसकी इज्जत जुड़ी है तुमसे पर जब तक तुम्हें इन सब बातों का ख्याल आएगा अफ़सोस की तेरे हाथों में फिर बस मलाल आएगा लगने लगेगा तुझे फिर लौट जाऊ मै अब घर अपने पर क्या घर का रास्ता तब इतना आसान हो पाएँगा ये सवाल तुम अपने आप से, एक बार फिर पूछना घर मे भागना है या नहीं तुम्हे,एक बार फिर सोचना ©Er. Ajay pawar

#कविता  यही कोई 18-20 बरस की जब होंगी तुम
पहले तो चोरी-चोरी किसी से करोंगी तुम प्यार 
फिर इज़हार का तरीका भी तुम करोगी तैयार 
कर दोंगी एक दिन  तुम इज़हार, डरते-डरते 
वो लड़का भी कर देगा हाँ, न  करते करते 
 शुरू होंगे फिर ये तुम्हारीमुलाकात के सिलसिले
 कसमें खाओगी तुम पार करने है साथ जलजले 
सपने देखने लगोंगी तुम साथ के.... 
 बारिश का मौसम और तारो वाली रात के
 मिलने को हर घड़ी बेचैन रहने लगेंगा दिल 
साथ में जमाने का डर वो तो अलग मुश्किल.. 
 मिलोंगी जहां हर वो गली कूचा अच्छा लगने लगेगा.... 
मिलने मे करे मदद हर वो शख्स अच्छा लगने लगेगा....
 घरवाओ की बाते बस कड़वी लगने लगेंगी तुमको 
परिवार से ज्यादा दुनिया भली लगने लगेगी तुमको 
इश्क का ये फितूर तुमको  इतना उपर ले जायेगा
नामुमकिन फिर तेरा नीचे उतार पाना हो जायेगा

फिर बढ़ने लगेंगी तुम्हारी धड़कने दिन बा दिन 
उंगलियों पर गिनने लगोगी तुम भागने वाला दिन
 तमाम मुश्किलो के बाद तुम दोनों एक हो जायेंगे
यकीन मानो ....
असल चेहरे तो जनाब तब सामने आएंगे 
शुरूवात में कुछ रातें बड़ी हसीं होंगी तेरी
 देखेगी जो दुनिया वो बड़ी रंगीन होगी तेरी
रखेंगा वो ख्याल कुछ दिन तेरा परियो की तरह .. 
कहेगा है मुस्कान तेरी फुलझड़ियों की तरह.. 
उसकी बाँहों मे तु मेहफूज समझेंगी खुद को
उसकी दिखाई दुनिया जन्नत लगेंगी तुझ को 
 पर ये दौर खुशनुमा,बस तब तक ही चलेगा 
जब तक घर से लाये पैसों से चूल्हा जलेगा
पैसे ख़त्म होते ही हकीकत का सामना कर पाओंगी क्या 
महँगे शौक रखने वाली तुम अब सुखी रोटी खाओगी क्या
स्वीकार कर पाओगी क्या रानी से फकीरों वाला जीवन? 
क्या अपना पाओगी प्यार से मोह भंग बाद का परिवर्तन? 

मान लो तुम किसी तरफ इस माहोल में ढाल भी लो खुद को
पर आयेगी माँ की याद फिर कैसे रोक पाओगी तुम खुद को
 तुम्हें नहीं आएगा ख्याल?अपनी बहन का जो छोटी है तुमसे
 भूल जाओगी उस भाई को जो झूठ मुठ का लड़ता था तुमसे 
कब तक करोगी नज़रंदाज़ बाप को जिसकी इज्जत जुड़ी है तुमसे

 पर जब तक तुम्हें इन सब बातों का ख्याल आएगा 
अफ़सोस की तेरे हाथों में फिर बस मलाल आएगा
 लगने लगेगा तुझे फिर लौट जाऊ मै अब घर अपने 
पर क्या घर का रास्ता तब इतना आसान हो पाएँगा
ये सवाल तुम अपने आप से, एक बार फिर  पूछना 
घर मे भागना है या नहीं तुम्हे,एक बार फिर सोचना

©Er. Ajay pawar

यही कोई 18-20 बरस की जब होंगी तुम पहले तो चोरी-चोरी किसी से करोंगी तुम प्यार फिर इज़हार का तरीका भी तुम करोगी तैयार कर दोंगी एक दिन तुम इज़हार, डरते-डरते वो लड़का भी कर देगा हाँ, न करते करते शुरू होंगे फिर ये तुम्हारीमुलाकात के सिलसिले कसमें खाओगी तुम पार करने है साथ जलजले सपने देखने लगोंगी तुम साथ के.... बारिश का मौसम और तारो वाली रात के मिलने को हर घड़ी बेचैन रहने लगेंगा दिल साथ में जमाने का डर वो तो अलग मुश्किल.. मिलोंगी जहां हर वो गली कूचा अच्छा लगने लगेगा.... मिलने मे करे मदद हर वो शख्स अच्छा लगने लगेगा.... घरवाओ की बाते बस कड़वी लगने लगेंगी तुमको परिवार से ज्यादा दुनिया भली लगने लगेगी तुमको इश्क का ये फितूर तुमको इतना उपर ले जायेगा नामुमकिन फिर तेरा नीचे उतार पाना हो जायेगा फिर बढ़ने लगेंगी तुम्हारी धड़कने दिन बा दिन उंगलियों पर गिनने लगोगी तुम भागने वाला दिन तमाम मुश्किलो के बाद तुम दोनों एक हो जायेंगे यकीन मानो .... असल चेहरे तो जनाब तब सामने आएंगे शुरूवात में कुछ रातें बड़ी हसीं होंगी तेरी देखेगी जो दुनिया वो बड़ी रंगीन होगी तेरी रखेंगा वो ख्याल कुछ दिन तेरा परियो की तरह .. कहेगा है मुस्कान तेरी फुलझड़ियों की तरह.. उसकी बाँहों मे तु मेहफूज समझेंगी खुद को उसकी दिखाई दुनिया जन्नत लगेंगी तुझ को पर ये दौर खुशनुमा,बस तब तक ही चलेगा जब तक घर से लाये पैसों से चूल्हा जलेगा पैसे ख़त्म होते ही हकीकत का सामना कर पाओंगी क्या महँगे शौक रखने वाली तुम अब सुखी रोटी खाओगी क्या स्वीकार कर पाओगी क्या रानी से फकीरों वाला जीवन? क्या अपना पाओगी प्यार से मोह भंग बाद का परिवर्तन? मान लो तुम किसी तरफ इस माहोल में ढाल भी लो खुद को पर आयेगी माँ की याद फिर कैसे रोक पाओगी तुम खुद को तुम्हें नहीं आएगा ख्याल?अपनी बहन का जो छोटी है तुमसे भूल जाओगी उस भाई को जो झूठ मुठ का लड़ता था तुमसे कब तक करोगी नज़रंदाज़ बाप को जिसकी इज्जत जुड़ी है तुमसे पर जब तक तुम्हें इन सब बातों का ख्याल आएगा अफ़सोस की तेरे हाथों में फिर बस मलाल आएगा लगने लगेगा तुझे फिर लौट जाऊ मै अब घर अपने पर क्या घर का रास्ता तब इतना आसान हो पाएँगा ये सवाल तुम अपने आप से, एक बार फिर पूछना घर मे भागना है या नहीं तुम्हे,एक बार फिर सोचना ©Er. Ajay pawar

16 Love

ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको असल में है ये कितनी बेरंग....... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो देख रही हो हंसते चेहरे कितने खामोश हैं भीतर से... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको असल में है ये कितनी बेरंग....... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो देख रही हो हंसते चेहरे कितने खामोश हैं भीतर से... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग क्या तुम्हें मालूम भी है...? जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग क्या तुम्हें मालूम भी है...? जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द क्या तुम्हें मालूम भी है...? ©Er. Ajay pawar

#शायरी  ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको 
असल में है ये कितनी बेरंग....... 
क्या तुम्हें मालूम भी है...?
 ये जो देख रही हो हंसते चेहरे 
कितने खामोश हैं भीतर से...
 क्या तुम्हें  मालूम भी है...? 
 ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको 
असल में है ये कितनी बेरंग....... 
क्या तुम्हें मालूम भी है...?
 ये जो देख रही हो हंसते चेहरे 
कितने खामोश हैं भीतर से...
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना
 कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग
 कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी 
खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे 
क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए 
कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे 
क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे
 परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक
  वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना
 कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग
 कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी 
खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे 
क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए 
कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे 
क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे
 परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक
  वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द
 क्या तुम्हें मालूम भी है...?

©Er. Ajay pawar

ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको असल में है ये कितनी बेरंग....... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो देख रही हो हंसते चेहरे कितने खामोश हैं भीतर से... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको असल में है ये कितनी बेरंग....... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो देख रही हो हंसते चेहरे कितने खामोश हैं भीतर से... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग क्या तुम्हें मालूम भी है...? जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग क्या तुम्हें मालूम भी है...? जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द क्या तुम्हें मालूम भी है...? ©Er. Ajay pawar

16 Love

#शायरी #sadak  मिलने का इरादा न था , पर हम मिले
फिर मिले इतने , उम्मीद से ज्यादा मिले
अंजाम-ए-इश्क़ से भी वाक़िफ़ थे हम
 जब भी मिले,बिछड़ने का इरादा ले के मिले

©Er. Ajay pawar

#sadak

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