यही कोई 18-20 बरस की जब होंगी तुम पहले तो चोरी-चोर | हिंदी कविता

"यही कोई 18-20 बरस की जब होंगी तुम पहले तो चोरी-चोरी किसी से करोंगी तुम प्यार फिर इज़हार का तरीका भी तुम करोगी तैयार कर दोंगी एक दिन तुम इज़हार, डरते-डरते वो लड़का भी कर देगा हाँ, न करते करते शुरू होंगे फिर ये तुम्हारीमुलाकात के सिलसिले कसमें खाओगी तुम पार करने है साथ जलजले सपने देखने लगोंगी तुम साथ के.... बारिश का मौसम और तारो वाली रात के मिलने को हर घड़ी बेचैन रहने लगेंगा दिल साथ में जमाने का डर वो तो अलग मुश्किल.. मिलोंगी जहां हर वो गली कूचा अच्छा लगने लगेगा.... मिलने मे करे मदद हर वो शख्स अच्छा लगने लगेगा.... घरवाओ की बाते बस कड़वी लगने लगेंगी तुमको परिवार से ज्यादा दुनिया भली लगने लगेगी तुमको इश्क का ये फितूर तुमको इतना उपर ले जायेगा नामुमकिन फिर तेरा नीचे उतार पाना हो जायेगा फिर बढ़ने लगेंगी तुम्हारी धड़कने दिन बा दिन उंगलियों पर गिनने लगोगी तुम भागने वाला दिन तमाम मुश्किलो के बाद तुम दोनों एक हो जायेंगे यकीन मानो .... असल चेहरे तो जनाब तब सामने आएंगे शुरूवात में कुछ रातें बड़ी हसीं होंगी तेरी देखेगी जो दुनिया वो बड़ी रंगीन होगी तेरी रखेंगा वो ख्याल कुछ दिन तेरा परियो की तरह .. कहेगा है मुस्कान तेरी फुलझड़ियों की तरह.. उसकी बाँहों मे तु मेहफूज समझेंगी खुद को उसकी दिखाई दुनिया जन्नत लगेंगी तुझ को पर ये दौर खुशनुमा,बस तब तक ही चलेगा जब तक घर से लाये पैसों से चूल्हा जलेगा पैसे ख़त्म होते ही हकीकत का सामना कर पाओंगी क्या महँगे शौक रखने वाली तुम अब सुखी रोटी खाओगी क्या स्वीकार कर पाओगी क्या रानी से फकीरों वाला जीवन? क्या अपना पाओगी प्यार से मोह भंग बाद का परिवर्तन? मान लो तुम किसी तरफ इस माहोल में ढाल भी लो खुद को पर आयेगी माँ की याद फिर कैसे रोक पाओगी तुम खुद को तुम्हें नहीं आएगा ख्याल?अपनी बहन का जो छोटी है तुमसे भूल जाओगी उस भाई को जो झूठ मुठ का लड़ता था तुमसे कब तक करोगी नज़रंदाज़ बाप को जिसकी इज्जत जुड़ी है तुमसे पर जब तक तुम्हें इन सब बातों का ख्याल आएगा अफ़सोस की तेरे हाथों में फिर बस मलाल आएगा लगने लगेगा तुझे फिर लौट जाऊ मै अब घर अपने पर क्या घर का रास्ता तब इतना आसान हो पाएँगा ये सवाल तुम अपने आप से, एक बार फिर पूछना घर मे भागना है या नहीं तुम्हे,एक बार फिर सोचना ©Er. Ajay pawar"

 यही कोई 18-20 बरस की जब होंगी तुम
पहले तो चोरी-चोरी किसी से करोंगी तुम प्यार 
फिर इज़हार का तरीका भी तुम करोगी तैयार 
कर दोंगी एक दिन  तुम इज़हार, डरते-डरते 
वो लड़का भी कर देगा हाँ, न  करते करते 
 शुरू होंगे फिर ये तुम्हारीमुलाकात के सिलसिले
 कसमें खाओगी तुम पार करने है साथ जलजले 
सपने देखने लगोंगी तुम साथ के.... 
 बारिश का मौसम और तारो वाली रात के
 मिलने को हर घड़ी बेचैन रहने लगेंगा दिल 
साथ में जमाने का डर वो तो अलग मुश्किल.. 
 मिलोंगी जहां हर वो गली कूचा अच्छा लगने लगेगा.... 
मिलने मे करे मदद हर वो शख्स अच्छा लगने लगेगा....
 घरवाओ की बाते बस कड़वी लगने लगेंगी तुमको 
परिवार से ज्यादा दुनिया भली लगने लगेगी तुमको 
इश्क का ये फितूर तुमको  इतना उपर ले जायेगा
नामुमकिन फिर तेरा नीचे उतार पाना हो जायेगा

फिर बढ़ने लगेंगी तुम्हारी धड़कने दिन बा दिन 
उंगलियों पर गिनने लगोगी तुम भागने वाला दिन
 तमाम मुश्किलो के बाद तुम दोनों एक हो जायेंगे
यकीन मानो ....
असल चेहरे तो जनाब तब सामने आएंगे 
शुरूवात में कुछ रातें बड़ी हसीं होंगी तेरी
 देखेगी जो दुनिया वो बड़ी रंगीन होगी तेरी
रखेंगा वो ख्याल कुछ दिन तेरा परियो की तरह .. 
कहेगा है मुस्कान तेरी फुलझड़ियों की तरह.. 
उसकी बाँहों मे तु मेहफूज समझेंगी खुद को
उसकी दिखाई दुनिया जन्नत लगेंगी तुझ को 
 पर ये दौर खुशनुमा,बस तब तक ही चलेगा 
जब तक घर से लाये पैसों से चूल्हा जलेगा
पैसे ख़त्म होते ही हकीकत का सामना कर पाओंगी क्या 
महँगे शौक रखने वाली तुम अब सुखी रोटी खाओगी क्या
स्वीकार कर पाओगी क्या रानी से फकीरों वाला जीवन? 
क्या अपना पाओगी प्यार से मोह भंग बाद का परिवर्तन? 

मान लो तुम किसी तरफ इस माहोल में ढाल भी लो खुद को
पर आयेगी माँ की याद फिर कैसे रोक पाओगी तुम खुद को
 तुम्हें नहीं आएगा ख्याल?अपनी बहन का जो छोटी है तुमसे
 भूल जाओगी उस भाई को जो झूठ मुठ का लड़ता था तुमसे 
कब तक करोगी नज़रंदाज़ बाप को जिसकी इज्जत जुड़ी है तुमसे

 पर जब तक तुम्हें इन सब बातों का ख्याल आएगा 
अफ़सोस की तेरे हाथों में फिर बस मलाल आएगा
 लगने लगेगा तुझे फिर लौट जाऊ मै अब घर अपने 
पर क्या घर का रास्ता तब इतना आसान हो पाएँगा
ये सवाल तुम अपने आप से, एक बार फिर  पूछना 
घर मे भागना है या नहीं तुम्हे,एक बार फिर सोचना

©Er. Ajay pawar

यही कोई 18-20 बरस की जब होंगी तुम पहले तो चोरी-चोरी किसी से करोंगी तुम प्यार फिर इज़हार का तरीका भी तुम करोगी तैयार कर दोंगी एक दिन तुम इज़हार, डरते-डरते वो लड़का भी कर देगा हाँ, न करते करते शुरू होंगे फिर ये तुम्हारीमुलाकात के सिलसिले कसमें खाओगी तुम पार करने है साथ जलजले सपने देखने लगोंगी तुम साथ के.... बारिश का मौसम और तारो वाली रात के मिलने को हर घड़ी बेचैन रहने लगेंगा दिल साथ में जमाने का डर वो तो अलग मुश्किल.. मिलोंगी जहां हर वो गली कूचा अच्छा लगने लगेगा.... मिलने मे करे मदद हर वो शख्स अच्छा लगने लगेगा.... घरवाओ की बाते बस कड़वी लगने लगेंगी तुमको परिवार से ज्यादा दुनिया भली लगने लगेगी तुमको इश्क का ये फितूर तुमको इतना उपर ले जायेगा नामुमकिन फिर तेरा नीचे उतार पाना हो जायेगा फिर बढ़ने लगेंगी तुम्हारी धड़कने दिन बा दिन उंगलियों पर गिनने लगोगी तुम भागने वाला दिन तमाम मुश्किलो के बाद तुम दोनों एक हो जायेंगे यकीन मानो .... असल चेहरे तो जनाब तब सामने आएंगे शुरूवात में कुछ रातें बड़ी हसीं होंगी तेरी देखेगी जो दुनिया वो बड़ी रंगीन होगी तेरी रखेंगा वो ख्याल कुछ दिन तेरा परियो की तरह .. कहेगा है मुस्कान तेरी फुलझड़ियों की तरह.. उसकी बाँहों मे तु मेहफूज समझेंगी खुद को उसकी दिखाई दुनिया जन्नत लगेंगी तुझ को पर ये दौर खुशनुमा,बस तब तक ही चलेगा जब तक घर से लाये पैसों से चूल्हा जलेगा पैसे ख़त्म होते ही हकीकत का सामना कर पाओंगी क्या महँगे शौक रखने वाली तुम अब सुखी रोटी खाओगी क्या स्वीकार कर पाओगी क्या रानी से फकीरों वाला जीवन? क्या अपना पाओगी प्यार से मोह भंग बाद का परिवर्तन? मान लो तुम किसी तरफ इस माहोल में ढाल भी लो खुद को पर आयेगी माँ की याद फिर कैसे रोक पाओगी तुम खुद को तुम्हें नहीं आएगा ख्याल?अपनी बहन का जो छोटी है तुमसे भूल जाओगी उस भाई को जो झूठ मुठ का लड़ता था तुमसे कब तक करोगी नज़रंदाज़ बाप को जिसकी इज्जत जुड़ी है तुमसे पर जब तक तुम्हें इन सब बातों का ख्याल आएगा अफ़सोस की तेरे हाथों में फिर बस मलाल आएगा लगने लगेगा तुझे फिर लौट जाऊ मै अब घर अपने पर क्या घर का रास्ता तब इतना आसान हो पाएँगा ये सवाल तुम अपने आप से, एक बार फिर पूछना घर मे भागना है या नहीं तुम्हे,एक बार फिर सोचना ©Er. Ajay pawar

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