पत्थर का कलेजा कांट कर आया होगा
सैलाब मेरे गांव को बांट कर आया होगा
चांद एक ही था उसे दूसरा कोई कैसे मिलता
वो कितने ही तारों को छाट कर आया होगा
मुझे मालूम है उस चिरांग मे लौ कम क्यू है
वो फिर अपनी ही बाती को डांट कर आया होगा
पतंगो को धागे का भरोसा करना ही नहीं चाहिए
जाने कितने ही हाथों को काट कर आया होगा
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©Baljit Singh Buttar
सैलाब मेरे गांव को बांट कर आया होगा J P Lodhi. Sukhbir Singh Alagh Anshu writer Arzooo 😍😍 Dhyaan mira