पत्थर का कलेजा कांट कर आया होगा सैलाब मेरे गांव | English Shayari

"पत्थर का कलेजा कांट कर आया होगा सैलाब मेरे गांव को बांट कर आया होगा चांद एक ही था उसे दूसरा कोई कैसे मिलता वो कितने ही तारों को छाट कर आया होगा मुझे मालूम है उस चिरांग मे लौ कम क्यू है वो फिर अपनी ही बाती को डांट कर आया होगा पतंगो को धागे का भरोसा करना ही नहीं चाहिए जाने कितने ही हाथों को काट कर आया होगा ************************************ ©Baljit Singh Buttar"

 पत्थर का कलेजा कांट कर आया  होगा 
सैलाब मेरे गांव को बांट कर आया होगा  

चांद एक ही था उसे दूसरा कोई कैसे मिलता 
वो कितने ही तारों को छाट कर आया होगा

मुझे मालूम है उस चिरांग मे लौ कम क्यू है 
वो फिर अपनी ही बाती को डांट कर आया होगा 

पतंगो को धागे का भरोसा करना ही नहीं चाहिए  
जाने कितने ही हाथों को काट कर आया होगा 
************************************

©Baljit Singh Buttar

पत्थर का कलेजा कांट कर आया होगा सैलाब मेरे गांव को बांट कर आया होगा चांद एक ही था उसे दूसरा कोई कैसे मिलता वो कितने ही तारों को छाट कर आया होगा मुझे मालूम है उस चिरांग मे लौ कम क्यू है वो फिर अपनी ही बाती को डांट कर आया होगा पतंगो को धागे का भरोसा करना ही नहीं चाहिए जाने कितने ही हाथों को काट कर आया होगा ************************************ ©Baljit Singh Buttar

सैलाब मेरे गांव को बांट कर आया होगा J P Lodhi. Sukhbir Singh Alagh Anshu writer Arzooo 😍😍 Dhyaan mira

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