क्या उभरे दर्द को मुस्कुरा कर दबाना जरूरी होता है | हिंदी कविता Video

"क्या उभरे दर्द को मुस्कुरा कर दबाना जरूरी होता है क्या खुली आंखों से देखे तमाम सपनों का एक पल में टूट जाना जरूरी होता है क्या हकीकत और ख्वाबों का कोई मेल नहीं होता क्या दुआ की ताकत बद्दुआ से कमजोर होता है तभी तो मंदिरों की चौखट पर दो रोटी के लिए बन्दा मजबूर होता है क्या जरूरी होता है सब सही करने के लिए हालातों का एक दम से बिखर जाना... क्या जरूरी होता है हर बार अपनी ख्वाइशों का गला दवाना क्या ये जरूरी होता है अपने अंतरात्मा को ठेस पहुंचाकर दबे होठों से मुस्कुराना लालच और स्वार्थ को सर्वोपरी रखकर क्यू जरूरी हो जाता है इंसान को अपनी इंसानियत भूल जाना जीवन तो अनमोल है फिर मोल भाव कर क्यूं खुद को बिक जाना है क्यूं अपमानित होकर अपनी नजरों में दुनियां में खुद का आत्मसम्मान बचाना है। ©madhavi Gupta "

क्या उभरे दर्द को मुस्कुरा कर दबाना जरूरी होता है क्या खुली आंखों से देखे तमाम सपनों का एक पल में टूट जाना जरूरी होता है क्या हकीकत और ख्वाबों का कोई मेल नहीं होता क्या दुआ की ताकत बद्दुआ से कमजोर होता है तभी तो मंदिरों की चौखट पर दो रोटी के लिए बन्दा मजबूर होता है क्या जरूरी होता है सब सही करने के लिए हालातों का एक दम से बिखर जाना... क्या जरूरी होता है हर बार अपनी ख्वाइशों का गला दवाना क्या ये जरूरी होता है अपने अंतरात्मा को ठेस पहुंचाकर दबे होठों से मुस्कुराना लालच और स्वार्थ को सर्वोपरी रखकर क्यू जरूरी हो जाता है इंसान को अपनी इंसानियत भूल जाना जीवन तो अनमोल है फिर मोल भाव कर क्यूं खुद को बिक जाना है क्यूं अपमानित होकर अपनी नजरों में दुनियां में खुद का आत्मसम्मान बचाना है। ©madhavi Gupta

#Barsaat

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