अब हो जा सतर्क ये बाशिंदे अब हो जा सतर्क ये बाशिं

"अब हो जा सतर्क ये बाशिंदे अब हो जा सतर्क ये बाशिंदे कि जाग रहा है हिंदुस्तान, कसम खायी इसने भी कि न मिले किसी असुर को वरदान , ये राम की है कृष्ण की है , ये राम की है कृष्ण की है कि गौतम और महावीर की ,गुरूगोविन्द और पैगंबर कि है , महादेव के तांडव की है, की है ये प्रेम और आदर्शो की ये भूमी , अब जाग रहा है हिंदुस्तान , मत ललकार अब जाग रहा है हिंदुस्तान , मत ललकार अरे मत ललकार तू वरना हो जाएगा बेकार की हिंदुस्तान जाग रहा है, वीर शिवाजी ,या राणा प्रताप अब नही रहे सिर्फ किताबो में ।।, वीर शिवाजी ,या राणा प्रताप अब नही रहे सिर्फ किताबो में की हिंदुस्तान जाग रहा है, वीर भगतसिंह और विवेकानंद पल रहे हर गलियारों में , तू अब मत ललकार की हिंदुस्तान जाग रहा है । कोई गलती हुई हो लिखने में तो माफ करना दोस्तो अभी ही रचा हु इन पंक्तियों को कोमल श्रीराम बंसोड ©आशिष गंगाधरजी चोले"

 अब हो जा सतर्क ये बाशिंदे 
अब हो जा सतर्क ये बाशिंदे
कि जाग रहा है हिंदुस्तान,
कसम खायी इसने भी कि न मिले किसी असुर को वरदान ,
ये राम की है कृष्ण की है ,
ये राम की है कृष्ण की है 
कि गौतम और महावीर की ,गुरूगोविन्द और पैगंबर कि है ,
महादेव के तांडव की है, की है ये प्रेम और आदर्शो की ये भूमी ,
अब जाग रहा है हिंदुस्तान , मत ललकार 
अब जाग रहा है हिंदुस्तान , मत ललकार 
अरे मत ललकार तू वरना हो जाएगा बेकार 
की हिंदुस्तान जाग रहा है,
वीर शिवाजी ,या राणा प्रताप अब नही रहे सिर्फ किताबो में ।।,
वीर शिवाजी ,या राणा प्रताप अब नही रहे सिर्फ किताबो में 
की हिंदुस्तान जाग रहा है,
वीर भगतसिंह और विवेकानंद पल रहे हर गलियारों में , तू अब मत ललकार की हिंदुस्तान जाग रहा है ।

      कोई गलती हुई हो लिखने में तो माफ करना दोस्तो अभी ही रचा हु इन पंक्तियों को 

कोमल श्रीराम बंसोड

©आशिष गंगाधरजी चोले

अब हो जा सतर्क ये बाशिंदे अब हो जा सतर्क ये बाशिंदे कि जाग रहा है हिंदुस्तान, कसम खायी इसने भी कि न मिले किसी असुर को वरदान , ये राम की है कृष्ण की है , ये राम की है कृष्ण की है कि गौतम और महावीर की ,गुरूगोविन्द और पैगंबर कि है , महादेव के तांडव की है, की है ये प्रेम और आदर्शो की ये भूमी , अब जाग रहा है हिंदुस्तान , मत ललकार अब जाग रहा है हिंदुस्तान , मत ललकार अरे मत ललकार तू वरना हो जाएगा बेकार की हिंदुस्तान जाग रहा है, वीर शिवाजी ,या राणा प्रताप अब नही रहे सिर्फ किताबो में ।।, वीर शिवाजी ,या राणा प्रताप अब नही रहे सिर्फ किताबो में की हिंदुस्तान जाग रहा है, वीर भगतसिंह और विवेकानंद पल रहे हर गलियारों में , तू अब मत ललकार की हिंदुस्तान जाग रहा है । कोई गलती हुई हो लिखने में तो माफ करना दोस्तो अभी ही रचा हु इन पंक्तियों को कोमल श्रीराम बंसोड ©आशिष गंगाधरजी चोले

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