मुद्दतें दर्द की लौ को कम तो नहीं कर सकती, ज़ख्म भ | हिंदी शायरी

"मुद्दतें दर्द की लौ को कम तो नहीं कर सकती, ज़ख्म भर जाए मगर दाग तो रह जाता है, दूरियों से कभी यादें तो नहीं मर सकती। ©Devendra Bisht"

 मुद्दतें दर्द की लौ को कम तो नहीं कर सकती,

ज़ख्म भर जाए मगर दाग तो रह जाता है,
दूरियों से कभी यादें तो नहीं मर सकती।

©Devendra Bisht

मुद्दतें दर्द की लौ को कम तो नहीं कर सकती, ज़ख्म भर जाए मगर दाग तो रह जाता है, दूरियों से कभी यादें तो नहीं मर सकती। ©Devendra Bisht

ahmadfaraz sahib
#Nojoto #nojotohindi

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