गर साल तरह ही जो अहवाल बदल जाते
तो ज़ीस्त के भी अपने अश्काल बदल जाते
अफ़सुर्द मिरे दिल को जो मिलता तिरा दामन
तक़दीर बदल जाती, तिमसाल बदल जाते
शतरंज सा होता कुछ ये खेल मुहब्बत का
गर मिलती सिपर हमको हम चाल बदल जाते
इन सर्द- सी रातों में हो तन्हा बसर कैसे
उफ़ हिज्र के ये मौसम फ़िलहाल बदल जाते
ये दौर-ए-गम-ए-दिल का बस ख़त्म नहीं होता
इक बार तो क़ुदरत के अफआ'ल बदल जाते
©Parastish
अहवाल - हालात
अश्काल - सूरतें
तिमसाल - तस्वीर
अफआ'ल - काम/ actions
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