हमारी कौन सुनता है, हमें कौन मानता है, चलों अपने म | हिंदी कविता

"हमारी कौन सुनता है, हमें कौन मानता है, चलों अपने में ही चुप रह लेते हैं। दर्द है कुछ, खुद से ही कह लेते हैं, समझदार है शायद, इसलिए चलो अकेले में रो लेते हैं। ----------आनन्द ©आनन्द कुमार"

 हमारी कौन सुनता है, हमें कौन मानता है,
चलों अपने में ही चुप रह लेते हैं।
दर्द है कुछ, खुद से ही कह लेते हैं,
समझदार है शायद,
इसलिए चलो अकेले में रो लेते हैं।
                               ----------आनन्द

©आनन्द कुमार

हमारी कौन सुनता है, हमें कौन मानता है, चलों अपने में ही चुप रह लेते हैं। दर्द है कुछ, खुद से ही कह लेते हैं, समझदार है शायद, इसलिए चलो अकेले में रो लेते हैं। ----------आनन्द ©आनन्द कुमार

#आनन्द_गाजियाबादी
#Anand_Ghaziabadi
#लडके

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