मोहब्बत की भी अब गिनती होने लगी है, कहाँ पहली दफा | हिंदी शायरी

"मोहब्बत की भी अब गिनती होने लगी है, कहाँ पहली दफा वाली, ठहरने लगी है, माना जिस्म बिकने लगे है, किराये पर, फिर क्यू खरीदारों की जुबां से, मोहब्बत की बात होने लगी है, आम है ये कहना के तुम ही मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो, पर अगली सुबह, कोई और क्यू उनसे लिपटने लगी है, #_अल्फ़ाज़_#"

 मोहब्बत की भी अब गिनती होने लगी है,

कहाँ पहली दफा वाली, ठहरने लगी है,

माना जिस्म बिकने लगे है, किराये पर,

फिर क्यू खरीदारों की जुबां से, मोहब्बत की बात होने लगी है,

आम है ये कहना के तुम ही मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो,

पर अगली सुबह, कोई और क्यू उनसे लिपटने लगी है,

#_अल्फ़ाज़_#

मोहब्बत की भी अब गिनती होने लगी है, कहाँ पहली दफा वाली, ठहरने लगी है, माना जिस्म बिकने लगे है, किराये पर, फिर क्यू खरीदारों की जुबां से, मोहब्बत की बात होने लगी है, आम है ये कहना के तुम ही मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो, पर अगली सुबह, कोई और क्यू उनसे लिपटने लगी है, #_अल्फ़ाज़_#

#खरीददार

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