खिलौना समज खेल जायेगा  क्या पता था तू बदल जायेगा | हिंदी कविता

"खिलौना समज खेल जायेगा  क्या पता था तू बदल जायेगा मुझे यु भुल जायेगा  वादा कीया था तुने  मेरे लिए खुशी लायेगा क्या पता था तू  मरने पर मजबूर कर जायेगा जिसने ये जहां बनाया उससे भी है एक सिकायत रुह की कोई कदर नही  वहा जिस्म की है कीमत  क्या पता था तू  मुझे कभी रुला जायेगा  मरने पर मजबूर कर जायेगा Jaanu दुआ है मेरी तुझे  मील जाये कोई तेरे जेसा तुझे  तब समझे गा मेरी हालत को मुझे और मेरे जस्बात को  क्या पता था तू  मुझे मिट्टी मे मिला जायेगा मरने पर मजबूर कर जायेगा "

 खिलौना समज खेल जायेगा 

क्या पता था तू बदल जायेगा

मुझे यु भुल जायेगा 

वादा कीया था तुने 

मेरे लिए खुशी लायेगा

क्या पता था तू 

मरने पर मजबूर कर जायेगा


जिसने ये जहां बनाया

उससे भी है एक सिकायत

रुह की कोई कदर नही 

वहा जिस्म की है कीमत 

क्या पता था तू 

मुझे कभी रुला जायेगा 

मरने पर मजबूर कर जायेगा



Jaanu दुआ है मेरी तुझे 

मील जाये कोई तेरे जेसा तुझे 

तब समझे गा मेरी हालत को

मुझे और मेरे जस्बात को 

क्या पता था तू 

मुझे मिट्टी मे मिला जायेगा

मरने पर मजबूर कर जायेगा 

खिलौना समज खेल जायेगा  क्या पता था तू बदल जायेगा मुझे यु भुल जायेगा  वादा कीया था तुने  मेरे लिए खुशी लायेगा क्या पता था तू  मरने पर मजबूर कर जायेगा जिसने ये जहां बनाया उससे भी है एक सिकायत रुह की कोई कदर नही  वहा जिस्म की है कीमत  क्या पता था तू  मुझे कभी रुला जायेगा  मरने पर मजबूर कर जायेगा Jaanu दुआ है मेरी तुझे  मील जाये कोई तेरे जेसा तुझे  तब समझे गा मेरी हालत को मुझे और मेरे जस्बात को  क्या पता था तू  मुझे मिट्टी मे मिला जायेगा मरने पर मजबूर कर जायेगा 

#SAD #Akhri #Khat

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