नये प्रतिमान गड़ने हो,,,,,,,तो खुद के साथ आओ तुम। त

"नये प्रतिमान गड़ने हो,,,,,,,तो खुद के साथ आओ तुम। तपा कर स्वयं का सीना, बनके दिनकर दिखाओ तुम।। करो खुद को बुलन्द इतना, सलामी ठोक दे दुनियाँ। जो कहते हैं नही सम्भव, उसे सम्भव बनाओ तुम।। जब दुनियाँ में जन्म लिया तो, यूँही नही मिटजाना है। काल जीतकर, हालातो का, पहला विगुल बजाना हैं।। कितनी भी विकराल हार हो, उसको जीत बनादो तुम। छोड़ सहारा दुनियाँ का, खुद का परचम लहरा दो तुम।। दिखलादो दुनियाँ को फिर से, हम भी खुद में सानी हैं। परवस होकर गुजर जाये जो, हम एसी नही जवानी हैं।। यम भी आकर रस्ता रोके, तो उनका अभिनंदन है। मर्यादा की गरिमा रखकर, उनके चरनों में बंदन है।। पर जबतक लक्ष्य अधूरा है, मेरा मरना यूँ उचित नही। फिर चाहे युध्द काल से हो, तो मेरा प्रभु से युध्द सही।। धीरेन्द्र सिंह तोमर ✍✍✍✍✍"

 नये प्रतिमान गड़ने हो,,,,,,,तो खुद के साथ आओ तुम।
तपा कर स्वयं का सीना, बनके दिनकर दिखाओ तुम।।

करो खुद को बुलन्द इतना, सलामी ठोक दे दुनियाँ।
जो कहते हैं नही सम्भव, उसे सम्भव बनाओ तुम।।

जब दुनियाँ में जन्म लिया तो, यूँही नही मिटजाना है।
काल जीतकर, हालातो का, पहला विगुल बजाना हैं।।

कितनी भी विकराल हार हो, उसको जीत बनादो तुम।
छोड़ सहारा दुनियाँ का, खुद का परचम लहरा दो तुम।।

दिखलादो दुनियाँ को फिर से, हम भी खुद में सानी हैं।
परवस होकर गुजर जाये जो, हम एसी नही जवानी हैं।।

यम भी आकर रस्ता रोके, तो उनका अभिनंदन है।
मर्यादा की गरिमा रखकर, उनके चरनों में बंदन है।। 

पर जबतक लक्ष्य अधूरा है, मेरा मरना यूँ उचित नही।
फिर चाहे युध्द काल से हो, तो मेरा प्रभु से युध्द सही।।

धीरेन्द्र सिंह तोमर
✍✍✍✍✍

नये प्रतिमान गड़ने हो,,,,,,,तो खुद के साथ आओ तुम। तपा कर स्वयं का सीना, बनके दिनकर दिखाओ तुम।। करो खुद को बुलन्द इतना, सलामी ठोक दे दुनियाँ। जो कहते हैं नही सम्भव, उसे सम्भव बनाओ तुम।। जब दुनियाँ में जन्म लिया तो, यूँही नही मिटजाना है। काल जीतकर, हालातो का, पहला विगुल बजाना हैं।। कितनी भी विकराल हार हो, उसको जीत बनादो तुम। छोड़ सहारा दुनियाँ का, खुद का परचम लहरा दो तुम।। दिखलादो दुनियाँ को फिर से, हम भी खुद में सानी हैं। परवस होकर गुजर जाये जो, हम एसी नही जवानी हैं।। यम भी आकर रस्ता रोके, तो उनका अभिनंदन है। मर्यादा की गरिमा रखकर, उनके चरनों में बंदन है।। पर जबतक लक्ष्य अधूरा है, मेरा मरना यूँ उचित नही। फिर चाहे युध्द काल से हो, तो मेरा प्रभु से युध्द सही।। धीरेन्द्र सिंह तोमर ✍✍✍✍✍

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