जब हम आख़िरी बार मिले थे एक दूसरे को भुलाने के लिए
संजोई यादों को मिटाने के लिए
एक दूसरे को तोहमतो से बचाने के लिए
पर दिल कब देखता है ज़माने की हकीकत
वो कहा समझता है वक्त की नज़ाकत
वो तो बस देखता है हमनाशी की सोहबत
इसीलिए पहुंच जाता है सारे मयार तोड़ कर अपने हमनफज
से मिलने के लिए
याद है वो दिन जब इस दिल ने एक बार फिर बगावत की थी तुमसे मिलने के लिए
याद है ••••••
©Aditya Mishra 'mukhtalif'
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