Aditya Mishra 'mukhtalif'

Aditya Mishra 'mukhtalif' Lives in Gorakhpur, Uttar Pradesh, India

दिल के अलफाजों को काफ़िए में कह जाता हूं आदमी तो आम ही हूं कभी कभी शायर बन जाता हूं

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जो लोग रातों में सोना भूल जाते है वही फिर सपने संजोना भूल जाते है जिनसे सब कुछ छीन लेती हैं ये ज़ालिम दुनिया वही लोग पाकर फिर खोना भूल जाते है बोहत मज़बूत बनने की कोशिश में अक्सर हमारे लड़के रोना भूल जाते है जो खुशी के नगमों में ही मशगूल रह जाते है वही शायर दर्द के लफ्जों को पिरोना भूल जाते है जिन्हे झूठी हंसी हंसने से ही फुर्सत नही मिलती वही ' मुख्तलिफ ' लोग आंखे भिगोना भूल जाते है ©Aditya Mishra 'mukhtalif'

 जो लोग रातों में सोना भूल जाते है
वही फिर सपने संजोना भूल जाते है

जिनसे सब कुछ छीन लेती हैं ये ज़ालिम दुनिया
वही लोग पाकर फिर खोना भूल जाते है

बोहत मज़बूत बनने की कोशिश में 
अक्सर हमारे लड़के रोना भूल जाते है

जो खुशी के नगमों में ही मशगूल रह जाते है
वही शायर दर्द के लफ्जों को पिरोना भूल जाते है

जिन्हे झूठी हंसी हंसने से ही फुर्सत नही मिलती
वही ' मुख्तलिफ ' लोग आंखे भिगोना भूल जाते है

©Aditya Mishra 'mukhtalif'

#शायरी #writing @POOJA UDESHI @Aliya Siddiqui Ruchika

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अपनी इंसानियत को बेज़ार नही कर सकता मैं हंस कर किसी पे वार नही कर सकता मुमकिन है की तुम वापस लौट आओ पर इस मोड़ पे तुम्हारा और इंतजार नही कर सकता पनप रही है एक दास्तान मेरे भीतर मगर लाचारी ये है की इकरार नही कर सकता कुछ मत मांगना इस वक्त मुझसे तुम इस वक्त मैं इनकार नहीं कर सकता अभी हवस भरी है बस नफस नफस में मेरे मैं किसी से भी प्यार नही कर सकता और कर भी लिया इश्क अगर तन्हाइयों के दबाव में तो फिर बेशुमार नही कर सकता अब तक की ज़िंदगी में इतने धोखे खाए हैं ' मुख्तलिफ ' की चाह कर भी किसी पे ऐतबार नही कर सकता ©Aditya Mishra 'mukhtalif'

#शायरी #MyThoughts #Drown  अपनी इंसानियत को बेज़ार नही कर सकता
मैं हंस कर किसी पे वार नही कर सकता

मुमकिन है की तुम वापस लौट आओ 
पर इस मोड़ पे तुम्हारा और इंतजार नही कर सकता

 पनप रही है एक दास्तान मेरे भीतर मगर 
लाचारी ये है की इकरार नही कर सकता

कुछ मत मांगना  इस वक्त मुझसे तुम
इस वक्त मैं इनकार नहीं कर सकता

अभी हवस भरी है बस नफस नफस में मेरे
मैं किसी से भी प्यार नही कर सकता

और कर भी लिया इश्क अगर तन्हाइयों के दबाव में 
तो फिर बेशुमार नही कर सकता

अब तक की ज़िंदगी में इतने धोखे खाए हैं ' मुख्तलिफ '
की चाह कर भी किसी पे ऐतबार नही कर सकता

©Aditya Mishra 'mukhtalif'

#Drown Aliya Siddiqui Pooja Udeshi #MyThoughts

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Mid night thoughts ©Aditya Mishra 'mukhtalif'

#midnightthoughts #शायरी  Mid night thoughts

©Aditya Mishra 'mukhtalif'

जब हम आख़िरी बार मिले थे एक दूसरे को भुलाने के लिए संजोई यादों को मिटाने के लिए एक दूसरे को तोहमतो से बचाने के लिए पर दिल कब देखता है ज़माने की हकीकत वो कहा समझता है वक्त की नज़ाकत वो तो बस देखता है हमनाशी की सोहबत इसीलिए पहुंच जाता है सारे मयार तोड़ कर अपने हमनफज से मिलने के लिए याद है वो दिन जब इस दिल ने एक बार फिर बगावत की थी तुमसे मिलने के लिए याद है •••••• ©Aditya Mishra 'mukhtalif'

#शायरी #prompt  जब हम आख़िरी बार मिले थे एक दूसरे को भुलाने के लिए
संजोई यादों को मिटाने के लिए
एक दूसरे को तोहमतो से बचाने के लिए 

पर दिल कब देखता है ज़माने की हकीकत 
वो कहा समझता है वक्त की नज़ाकत 
वो तो बस देखता है हमनाशी की सोहबत 

इसीलिए पहुंच जाता है सारे मयार तोड़ कर अपने हमनफज
से मिलने के लिए 

याद है वो दिन जब इस दिल ने एक बार फिर बगावत की थी तुमसे मिलने के लिए 

याद है ••••••

©Aditya Mishra 'mukhtalif'

'mukhtalif' vaani

'mukhtalif' vaani

Wednesday, 25 August | 12:30 pm

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खुद्दारी को ताख पे रखना पड़ता है दौलत कमाने के लिए मन को स्याह करना पड़ता है गम की रंगत छुपाने के लिए वो एक हसी का चित्र जो ज़ेहन से मिटता ही नहीं पूरी जिंदगी भी कम है उसकी सूरत भुलाने के लिए ©Aditya Mishra 'mukhtalif'

#मेरेएहसास #नोजोटो #MereKhayaal  खुद्दारी को ताख पे रखना पड़ता है दौलत कमाने के लिए
मन को स्याह करना पड़ता है गम की रंगत छुपाने के लिए

वो एक हसी का चित्र जो ज़ेहन से मिटता ही नहीं
पूरी जिंदगी भी कम है उसकी सूरत भुलाने के लिए

©Aditya Mishra 'mukhtalif'
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