White तबाही की दहलीज पर आकर खड़े हैं मत पूछो ये म | हिंदी Shayari Vide

"White तबाही की दहलीज पर आकर खड़े हैं मत पूछो ये मंजर क्या हैं बाहर से जरूर ठीक नजर आते हैं सच पूछो मेरे अंदर क्या हैं निकलते नहीं बूंद भर आंसू भी मेरे आंखो से इससे ज्यादा बंजर क्या हैं और टूटे हुए सपनो का दर्द इतना गहरा हैं मत नापो ये समंदर क्या हैं। ©Dips Kumar "

White तबाही की दहलीज पर आकर खड़े हैं मत पूछो ये मंजर क्या हैं बाहर से जरूर ठीक नजर आते हैं सच पूछो मेरे अंदर क्या हैं निकलते नहीं बूंद भर आंसू भी मेरे आंखो से इससे ज्यादा बंजर क्या हैं और टूटे हुए सपनो का दर्द इतना गहरा हैं मत नापो ये समंदर क्या हैं। ©Dips Kumar

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