"सिसकोगी, तड़पोगी, पछताओगी...
खुद को यूं ही बस फना करोगी...
शाम-ओ-सहर मेरी याद आएगी तो....
कहीं से मेरे आने की दुआ करोगी....
बहुत गुरुर है तुम्हें अपनी अना पे आज....
कल अपनी ही परछाई से डरा करोगी....
तुम्हें भी शायद खबर नहीं हालत कि मेरी...
पागल हो जाओगी, मरोगी ना जिया करोगी....
जब मेरा ना बाकी कोई निशान होगा तब....
ये मेरी गज़ले ही महफ़िल में पढा करोगी....
©Ak.writer_2.0
"