तू मेरी चाहत नहीं .. तू मेरी मजबूरी है ..खाली हाथ | हिंदी विचार

"तू मेरी चाहत नहीं .. तू मेरी मजबूरी है ..खाली हाथ हैं मेरे बस इसलिए तू जरुरी है .. न जाने कब सोच बदलेगी जमाने की .. हमें तो आदत हो गई अब इस फसाने की ... कोई बदले न बदले . .चलो ,थोड़ी कोशिश जरा करलें.. तुम अपने आँगन में बेटी की खुशबू महकाओ ..हम भी अपने आँगन में रंग उसके जरा भर लें..."

 तू मेरी चाहत नहीं ..
तू मेरी मजबूरी है 
..खाली हाथ हैं मेरे
 बस इसलिए तू जरुरी है ..
न जाने कब सोच बदलेगी जमाने की ..
हमें तो आदत हो गई अब इस फसाने की ...
कोई बदले न बदले .
.चलो ,थोड़ी कोशिश जरा करलें..
तुम अपने आँगन में
 बेटी की खुशबू महकाओ
..हम भी अपने आँगन में 
 रंग उसके जरा भर लें...

तू मेरी चाहत नहीं .. तू मेरी मजबूरी है ..खाली हाथ हैं मेरे बस इसलिए तू जरुरी है .. न जाने कब सोच बदलेगी जमाने की .. हमें तो आदत हो गई अब इस फसाने की ... कोई बदले न बदले . .चलो ,थोड़ी कोशिश जरा करलें.. तुम अपने आँगन में बेटी की खुशबू महकाओ ..हम भी अपने आँगन में रंग उसके जरा भर लें...

#बेटी

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